सरकारी व्यवस्था दे रही बालू चोरी को बढ़ावा

जमशेदपुर, 11 जून (रिपोर्टर): झारखंड में बालू की चोरी के धंधे में बहार आई हुई है. फिलहाल 10 जून से 10 सितंबर तक एनजीटी लागू हो जाने के बाद तो नियमत: बालू उठाव पर स्वत: रोक लग गयी है लेकिन धंधा चालू है.
झारखंड में पिछली सरकार द्वारा बालू उठाव की जो व्यवस्था कायम की गई थी उसके अनुसार अब बालू घाटों की नीलामी नहीं की जाती, बल्कि इस खनिज को झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) के जिम्मे लगा दिया गया. निगम को बालू घाट से बालू उठाव और जगह-जगह बनाए गए अपने स्टाकिंग प्वाइंट तक उसे जमा करने का टेंडर देना है जहां से उसे स्वयं बालू की बिक्री करना है.
बालू उठाव और उसके एकत्रीकरण के लिए निगम ने रेट स्ट्रक्चर तय किया है लेकिन वह सर्वत्र स्वीकार्य नहीं है. लेकिन जेएसएमडीसी का वैसा कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं होने के चलते व्यवहार में धरातल पर धड़ल्ले से बालू का अवैध ढंग से ही कारोबार चल रहा है. जेएसएमडीसी की हालत यह है कि इसके एमडी के पास सतरह विभागों की जिम्मेवारी है. मसलन वही पदाधिकारी खान विभाग भी चलाते हैं. कृषि बोर्ड का भी प्रबंध निदेशक हैं.
जेएसएमडीसी के लिए उन्हें समय शायद ही बचता है. अगर इसी व्यवस्था को बहाल रखना है तब सरकार को यहां किसी आईएएस के बजाय तकनीकी पदाधिकारी की नियुक्ति कर इसका इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कराना चाहिए था.
इस हालत में राज्य में बालू चोरी को ही बढ़ावा मिल रहा है जिससे राजस्व में हानि भी होती है और निर्माण कार्यों की लागत भी प्रभावित होती है. बालू विकास कार्यों और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण रोल अदा करता है. निर्माण क्षेत्र से जुड़े प्रमुख उद्यमी मुकेश भगत ने कहा कि सरकार कोरोना के दौर में मजदूरों, खासकर बाहर से लौटे लोगों को रोजगार देने का दावा करती है लेकिन बालू संबंधी अड़चन के मूल बिन्दु पर ध्यान नहीं देती. निर्माण कार्यों के लिए बालू आसानी से एक वाजिब दर पर कभी मिलता नहीं. निर्माण कार्यों के लिए बालू उपलब्ध नहीं होगा तब रोजगार की कल्पना पूरी कैसे होगी?इस पूरे प्रकरण में सरकार को राजस्व का भी भारी नुकसान होता है. उन्होंने बालू घाटों की नीलामी व्यवस्था बहाल करने की मांग की.

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