रांची,18 अक्तूबर (ईएमएस): लुप्त होती पांच आदिम जनजाति भाषा को भी झारखंड में होने वाली नियुक्ति परीक्षा में शामिल किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। इन भाषाओं में असुर, बिरहोर, बिरजिया,भूमिज और मालतो शामिल हैं। जल्द ही इन आदिम जनजाति भाषा के जानकारों की नियुक्ति करने की योजना है। इस संबंध में कार्मिक-प्रशासनिक सुधार व राजभाषा विभाग के संयुक्त सचिव ओमप्रकाश साह ने डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के निदेशक को पत्र भेजकर निर्देश दिया है।
पत्र में कहा गया है कि झारखंड लोक सेवा आयोग व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की ओर से आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में कई तरह की भाषा संबंधी कठिनाई आती है। इसमें विशेषकर जेएसएससी द्वारा ली जाने वाली विभिन्न पदों में से कक्षपाल, वनरक्षी पदों की भर्ती नियमावली में क्षेत्रीय भाषाओं के विकल्प के रूप में प्रावधान है। परंतु इन भाषाओं-बोलियों का न तो पाठयक्रम निर्धारित हैं और न ही विषय के विशेषज्ञ उपलब्ध हैं। इसके कारण उक्त विषयों में परीक्षा लेना संभव नहीं हो पाता। इसलिए टीआरआई के द्वारा उक्त विषयों में पठन-पाठन के लिए पुस्तक से संबंधित जानकारी विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
शोध संस्थान व्याकरण तैयार कर रहा
राजभाषा विभाग के निर्देशानुसार शोध संस्थान प्रतियोगिता परीक्षा के लिए पहली बार पांच लुप्त प्राय आदिम जनजाति की बोली-भाषा में प्रतियोगिता परीक्षा के लिए पाठय सामग्री तैयार कर रहा है। इसके तहत असुर, बिरहोर, भूमिज, बिरजिया और मालतों भाषा में मैट्रिक स्तरीय व्याकरण और कविता-कहानी का अनुवाद व पठन सामग्री तैयार की जा रही है।
टीआरई ही करेगा पाठयक्रमों का प्रकाशन
तीन चरणों में पाठयक्रम तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। इस पाठ्यक्रम को प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल किया जाएगा। इसका प्रकाशन जनजातीय शोध संस्थान करेगा। इसे लेकर आदिम जनजाति भाषाओं के विशेषज्ञों का चयन कर उनसे अनुवाद कराया जा रहा है। इनमें जगेश्वर असुर, लालदेव असुर, विजय बिरहोर, सिमोन बिरहोर, बृहस्पति सरदार, परमेश्वर सरदार, विरेन सरदार, रामा पहाडिय़ा, सिमोन मालतो, प्रेम कुमार मालतों शामिल हैं।