रघुवर सरकार में बचते रहे बांके बिहारी हेमंत सरकार में नप गए चापाकल घोटाले में आरोपी डीएसई निलंबित

जमशेदपुर, 8 मई (रिपोर्टर) : जमशेदपुर में जिला शिक्षा अधीक्षक रहे बांके बिहारी सिंह सरकारी स्कूलों में चापाकल गड़ाने के नाम पर किये गबन और घोटाले के मामले में निलंबित कर दिये गये हैं. शुक्रवार को सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के विशेष सचिव भीष्म कुमार ने निलंबन का आदेश जारी कर दिया. बांके बिहारी सिंह वर्तमान में जामताड़ा में जिला शिक्षा पदाधिकारी और डीएसई के अतिरिक्त प्रभार में थे. बता दें कि डीएसई बांके बिहारी के कारनामों के बारे में चमकता आईनाो लगातार खबरें प्रकाशित करता रहा है. पूर्व सरकार में हमेशा वे भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई को मैनेज करने में कामयाब होते रहे. बांके बिहारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने के बाद भी सरकार उन्हें संरक्षण ही देती रही. बांके बिहारी के कार्यकाल में एक गुट का राज कायम था जिससे आम शिक्षक भी तंग थे. कल उनके खिलाफ हुई खिलाफ हुई कार्रवाई से शिक्षक समुदाय में काफी हार्ष है. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के झूठे दावे करने वालों को आज करारा जवाब मिला. जमशेदपुर में स्कूल के डेस्क-बेंच घोटाले कई मामले ऐसे हैं जिनमेें जांच एवं कार्रवाई अपेक्षित है. अगर यह जांच होती है तो सत्ता शीर्ष तक पहुंच रखने वाले कई सफेदफोश भी बेनकाब होंगे.
बांके बिहारी पर आरोप था कि वर्ष 2014 में जब वे धनबाद में जिला शिक्षा अधीक्षक पद पर थे, तब उन्होंने सरकारी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में चापाकल लगवाने की योजना में राशि का दुर्विनियोग एवं गबन तथा सरकारी निर्देशों का उल्लंघन किया था. जब वे वर्ष 2018 में जमशेदपुर में बतौर जिला शिक्षा अधीक्षक पदस्थापित हुए तब झारखंड अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के महासचिव रामनारायण सिंह ने चापाकल घोटाले की शिकायत विभागीय सचिव के अलावा मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय तक की थी. अपने खिलाफ शिकायतों से बौखलाए बांके बिहारी सिंह ने अपने वरीय अधिकारियों को भरोसे में लेते हुए शिक्षक नेता रामनारायण सिंह को काफी प्रताडि़त करते हुए शिकायत वापस लेने का दबाव बनाने लगे. यही नहीं, अनुशासनहीनता के आरोप में शिक्षक नेता को छह महीने से अधिक समय तक निलंबित रखा गया और उनके तीन वेतन इंक्रीमेंट भी काट दिये गये थे. बाद में रामनारायण सिंह के समर्थन में शिक्षा सत्याग्रह के नेता अंकित आनंद ने भी बांके बिहारी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. विरोध तेज होने के बाद विभाग ने बांके बिहारी सिंह को निलंबित करने की बजाय जमशेदपुर से जामताड़ा स्थानांतरित कर दिया गया. इसके बाद भी अंकित ने बांके बिहारी के भ्रष्टाचार और घोटालों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करते हुए लगातार अंतराल पर सरकार से मांग जारी रखी.
अंकित ने ट्विटर पर की थी सीएम से शिकायत
दो माह पूर्व 6 मार्च को अंकित ने बांके बिहारी के खिलाफ ट्विटर पर मोर्चा खोलते हुए लगभग आधा दर्जन ट्वीट किये थे. ट्वीट में बांके के शिक्षक नियुक्ति घोटाला, चापाकल घोटाला सहित जमशेदपुर के बेंच-डेस्क घोटाले का भी जिक्र था. अंकित की ट्वीट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संज्ञान लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को मामले में कार्रवाई करने को कहा था. दो दिन बाद शिक्षा मंत्री ने ट्विटर पर ही सूचित किया था कि मामले में संज्ञान लिया गया है और विभागीय पदाधिकारियों को अविलंब जांच कर दोषी पर कार्रवाई करने का आदेश दिया गया.

Share this News...