पिछली विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म होगा, तब तक नई सरकार का गठन जरूरी
भाजपा-शिवसेना के बीच 50:50 फॉर्मूले पर बात अटकी, शिवसेना सरकार में बराबरी का प्रतिनिधित्व चाहती है
288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 145 का आंकड़ा जरूरी, भाजपा के पास 105 और शिवसेना के पास 56 विधायक
राकांपा के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 विधायक, अन्य विधायकों की संख्या 29
मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के 16वें दिन भी सत्ता की तस्वीर साफ नहीं है। विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म हो रहा है और इससे पहले सरकार का गठन जरूरी है। अगर इस तारीख तक कोई दल या गठबंधन सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करता है तो वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। चुनाव में 105 सीटों वाली भाजपा सबसे बड़ा दल है और उसकी गठबंधन सहयोगी शिवेसना के पास 56 विधायक हैं। हालांकि, सत्ता में भागीदारी को लेकर दोनों के बीच बात अटकी है।
महाराष्ट्र : भाजपा सबसे बड़ी पार्टी
पार्टी सीट
भाजपा 105
शिवसेना 56
राकांपा 54
कांग्रेस 44
बहुजन विकास अघा?ी 3
एआईएमआईएम 2
निर्दलीय और अन्य दल 24
कुल सीट 288
शनिवार तक का वक्त महत्वपूर्ण
महाराष्ट्र की पिछली विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म हो रहा है। तब तक नई सरकार का गठन जरूरी है। इसी वजह से शनिवार तक का वक्त महाराष्ट्र की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है।
50:50 के फॉर्मूला पर भाजपा-शिवसेना में बात अटकी
शिवसेना मुख्यमंत्री पद पर 50:50 फॉर्मूला पर अड़ी हुई है। शिवसेना कि मांग है कि भाजपा इसी फॉर्मूले पर एकसाथ चुनाव लडऩे के लिए राजी हुई थी और दोनों पार्टियों के बीच यह पद साझा किया जाना चाहिए। हालांकि, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने न्यूज एजेंसी से कहा कि पार्टी मुख्यमंत्री के पद पर समझौता नहीं करेगी।
शिवेसना प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री पर गुरुवार को विधायकों की बैठक हुई। इसके बाद पार्टी ने कहा कि जो उद्धव तय करेेंगे, वह फैसला मंजूर होगा।
सत्ता के 5 समीकरण
1) भाजपा-शिवसेना में गतिरोध खत्म हो
भाजपा-शिवसेना के बीच गतिरोध दूर हो जाए और फडणवीस या दोनों दलों की आपसी सहमति वाला उम्मीदवार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ले। सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि दोनों दी दलों में भीतर ही भीतर बातचीत जारी है और सबकुछ ठीक रहा तो जल्द सरकार का गठन होगा। सत्ता में भागीदारी के नए समीकरण भी सामने आ सकते हैं।
2) भाजपा अल्पमत की सरकार बनाए
288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास 105 विधायक हैं। बहुमत के लिए 145 का आंकड़ा जरूरी है। अगर भाजपा 29 निर्दलीय विधायकों को अपने साथ कर लेती है, तो उसका संख्या बल 134 का हो जाता है। ऐसे में पार्टी बहुमत के आंकड़े से 11 सीट दूर रह जाएगी। इस स्थिति में फ्लोर टेस्ट के वक्त विधानसभा से दूसरी पार्टियों के 21 विधायक अनुपस्थित रहें तो भाजपा सदन में बहुमत साबित कर लेगी। 21 विधायकों की अनुपस्थिति की स्थिति में सदन की सदस्य संख्या 267 हो जाएगी और बहुमत का जरूरी आंकड़ा 134 का हो जाएगा। ये आंकड़ा भाजपा 29 निर्दलियों की मदद से जुटा सकती है।
3) शिवसेना के 45 विधायक भाजपा के साथ आ जाएं
भाजपा सांसद संजय काकड़े ने दावा किया है कि शिवसेना के 45 विधायक उनकी पार्टी को समर्थन देना चाहते हैं। ऐसे में 56 विधायकों वाली शिवसेना से 45 विधायक टूटते हैं तो यह संख्या दो-तिहाई से ज्यादा हो जाएगी और दल-बदल कानून लागू नहीं होगा। 105 विधायकों वाली भाजपा का संख्या बल इन विधायकों की मदद से 150 पहुंच जाएगा और वह सदन में बहुमत साबित कर देगी।
4) 170 विधायकों के समर्थन की बात कह रही शिवसेना दावा पेश कर दे
भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश न करे और 56 विधायकों वाली शिवसेना दावा पेश कर दे। इसकी संभावना इसलिए है, क्योंकि शिवसेना सांसद संजय राउत लगातार दावा कर रहे हैं कि शिवसेना के पास 170 विधायकों का समर्थन है और यह संख्या 175 तक हो सकती है।
5) शिवसेना-राकांपा का गठबंधन हो और कांग्रेस बाहर से समर्थन करे
56 विधायकों वाली शिवसेना का 54 विधायकों वाली राकांपा से गठबंधन हो जाए और 44 विधायकों वाली कांग्रेस बाहर से समर्थन दे दे। ऐसे में तीनों की संख्या मिलकर 154 हो जाएगी। हालांकि, इसकी संभावना कम है, क्योंकि कांग्रेस चुप्पी साधे हुए है और राकांपा प्रमुख शरद पवार शिवसेना नेता संजय राउत से मुलाकात के बाद भी कह चुके हैं कि हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है। पवार का यह भी कहना है कि हमें नहीं पता कि राउत किस आधार पर 170 विधायकों के समर्थन की बात कह रहे हैं।