जमशेदपुर, 16 सितंबर (रिपोर्टर): नमन के संस्थापक अमरप्रीत सिंह काले ने कहा कि उनकी संस्था आत्महत्या की बढ़ रही घटनाओं से मर्माहत है और इसके निवारण के लिये पहल करने का निर्णय लिया है. नमन विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग टोलियां बनाकर सबसे पहले लोगों को जागरुक करने और जीवन के प्रति आस बनाये रखने का काम करेगा. आत्महत्या की खबरें हर किसी को व्यथित करती है. नमन का मानना है कि लोगों का स्वार्थी होना, सुसाइडल टैंडेंसी का बड़ा कारण है. आत्महत्या करनेवाला व्यक्ति इस बात को कैसे भूल जाता है कि उसके बाद उसके परिवार और साथियों पर क्या गुजरेगा. किसी विफलता या ठोकर पर उसका सामना करना चाहिये, जैसे रास्ते में बने पड़े पत्थर को हम हटाकर दूर कर दें. हाल के दिनों में कोरोना टेस्ट से डरकर कई लोगों ने आत्महत्या कर ली तो किसी ने नौकरी जाने की आशंका से. जो लोग मुसीबत में हैं उनसे ज्यादा उनलोगों ने आत्महत्या कर ली जिन्हें मुसीबत की आशंका थी. जीवन का नाम ही उतार चढ़ाव है. धर्मग्रंथों में आत्महत्या को महापापा बताया गया है. सबको पता है कि आत्महत्या को निराशा, कुंठा, आत्मविश्वास की कमी, अकेलापन से खुराक मिलती है. इसका उपाय है अच्छी संगति, अच्छी पुस्तकें, परिवार के बीच रहना और हमेशा सकारात्मक सोचना. हर आदमी का यह दायित्व होना चाहिये कि वह दूसरे की भावना को समझें. यह जीवन आपको अमानत के रुप में मिली है, इसको छीनने का हक आपको नहीं है. कम उम्र और संपन्न परिवारों के बच्चे जब आत्महत्या करते हैं तो अभिभावकों की कमी, शिक्षा की कमी साफ दिखाई देती है. गांव या बस्ती इलाकों में आत्महत्या की घटनाएं बहुत कम होती है, क्योंकि वे आपस में एक दूसरे से गहरे जुड़े होते हैं.