जमशेदपुर : झारखंड आंदोलनकारी चंद्रमोहन नाग उर्फ बाबू का निधन तामोलिया स्थित ब्रह्मानंद हृदयालय अस्पताल में हो गया. वे कोरोना संक्रमित थे. शुरुआत में मर्सी हॉस्पिटल में भर्ती हुए. उनके स्वास्थ्य और ऑक्सीजन लेवल में लगातार गिरावट होने की शिकायत पर उन्हें ब्रह्मानंद अस्पताल रेफर किया गया था. बाद में बदन दर्द और हल्का बुखार महसूस होने से अपने घर से ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे. उनके परिवार के अन्य सदस्य भी इससे संक्रमित पाए गए थे. चंद्रमोहन नाग अविवाहित थे. उनके परिवार में भाई, भाभी के अलावा उनके संतान हैं. वर्ष 1962 में जन्मे श्री नाग छात्र जीवन से ही झारखंड अलग राज्य आंदोलन से सक्रिय रुप से जुड़े रहे. झारखंड जनतांत्रिक महासभा और शहीद स्मारक समिति में वे मार्गदर्शक की भूमिका में रहे.
बाबू नाग के विचार जिंदा रहेंगे : दीपक
झारखंड जनतांत्रिक महासभा के दीपक रंजीत ने उनके निधन पर कहा कि बाबू नाग का जाना समाज के लिए अपूरणीय क्षति है. उनका शरीर मरा है, लेकिन उनके विचार जिंदा रहेंगे. वे कर्मकांड के खिलाफ थे. इसलिए उनके परिजनों ने निर्णय लिया है कि उनका क्रियाकर्म नहीं होगा, सिर्फ श्रद्धांजलि सभा होगी.
झारखंडियों की अपूरणीय क्षति : मदन
झामुमो के मदन मोहन ने शोक संवेदना जताते हुए कहा कि बाबू नाग के निधन से झारखंडियों की अपूरणीय क्षति हुई है. वे हमेशा हौसला बढ़ानेवाले साथी थे. उन्होंने सामाजिक जीवन में अंतिम समय तक एक नौजवान और जिंदादिल इंसान के रूप में भूमिका निभाते रहे.