जिम्मेवार पिता का फर्ज करें पूरा फादर्स डे पर अपने बच्चों से जुडकर बनें सुपर डैड

– प्रसांता दास, यूनिसेफ प्रमुख, झारखंड

आप में से कितने लोगों ने अपने बच्चे के पैदा होने के बाद उसे अपने सीने से लगाया था? मैं समझता हूं कि ऐसे पिता की संख्या बहुत कम होगी। यही वजह है कि एक बच्चे के देखभाल और लालन-पालन में पिता की भूमिका को कम करके देखा जाता है।

महिलाओं की तरह पुरूश भी बच्चों के स्वास्थ्य एवं विकास पर गहरा प्रभाव डालते हैं। बच्चे के जीवन के शुरूआत से ही उसके जीवन के विकास में पिता की भूमिका मां के समान ही काफी महत्वपूर्ण होती है। कई वर्श पहले जब मेरी बेटी पैदा हुई थी तो मैंने खुद से एक वादा किया था कि मैं अपने कामों में चाहे कितना भी व्यस्त क्यों न रहूं, पर अपनी बेटी के साथ खेलने और समय बिताने के लिए जरूर समय निकालूंगा। खुद से किए गए उस वादे को मैं आज भी पूरा करने की कोशिश करता हूं।

बच्चों के साथ समय बिताना काफी महत्वपूर्ण होता है। वास्तव में, यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे के बुद्घि का समुचित विकास हो तो आपको एक पिता के रूप में उसके साथ अधिक समय बिताना चाहिए। हमें बच्चों को केवल भोजन, कप$डा तथा किताब देने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि हमें इससे कुछ अधिक करने की जरूरत है। शोध के अनुसार बच्चों के साथ समय बिताने से उनमें अवसाद, भय तथा आत्म संदेह का खतरा कम होता है। ये चीजें बच्चों के जीवन में बेहतरी लाने वाले कारकों से जु$डे हैं, जो जीवन में उनके सफल होने की क्षमता को ही निर्धारित करते हैं।

अभिभावक होना आसान नहीं
यूनिसेफ के एक अध्ययन से पता चलता है कि जीवन के १,००० दिनों के दौरान बच्चों के जीवन में जो विकास होता है वैसा विकास फिर दुबारा नहीं होता। इस शुरूआती दिनों में बच्चे का मस्तिश्क काफी तेजी से विकसित होता है और प्रति सेकंड एक मिलियन से अधिक नए तंत्रिका तंत्रों को जो$डता है। इसका मतलब यह हुआ कि बच्चों के जीवन के शुरूआती दौर में ही उसके विकास की आधारशिला तैयार होती है।

यह समय बच्चों के जीवन में एक अवसर के समान होता है, जिसमें उनके सीखने, विकास करने और समाज में योगदान देने की क्षमता का विकास होता है। लेकिन यह तभी होगा जब उन्हें उचित स्वास्थ्य सुविधा, पोशण, सुरक्षा, देखभाल तथा सीखने के अवसर प्राप्त हों।

हमें एक पिता तथा अभिभावक के रूप में बच्चे को एक उचित वातावरण प्रदान करने की जरूरत है, ताकि कि उनके मस्तिश्कतथा बुद्घि का सही विकास हो।आमतौर पर, छोटे बच्चे को पिता कम ही समय देते हैं और बच्चे के ब$डे होने पर ही पिता की भूमिका ब$ढती है। लेकिन वास्तव में ०-३ वर्श के दौरान बच्चे को जिस प्रकार की देखभाल प्राप्त होती है, वही बच्चे को लाभ पहुंचाती है।

मुझे मालूम है कि जब बच्चा ब$डा हो जाता है, तो एक पिता के लिए ब$डी भूमिका निभाना आसान होता है, लेकिन बच्चों की देखभाल में पिता की भूमिका उसके जीवन के शुरूआत से ही होनी चाहिए।

कार्यों को साझा करें
यह मुझे हालिया कोविड-१९ की याद दिलाता है, जिसका हम अभी भीसामना कर रहे हैं। इसके कारण हमें लॉकडाउन का सामना करना प$डा और घरों में सीमित होकर रहना प$डा। यह समय है जब बच्चे की देखभाल तथा घरेलू कार्यों में आप पत्नी की मदद कर सकते हैं। यह महिलाओं पर प$डने वाले बच्चों की देखभाल के असंगत बोझ को भी कम करेगा।

आप घर में कार्यों का विभाजन कर सकते हैं, जैसे कि बच्चे को खिला सकते हैं, उन्हें सीखने में मदद कर सकते हैं और यहां तक कि खिलाने के बाद पीठ थपथपा कर बच्चे को डकार भी दिला सकते हैं। हालांकिपारंपरिक रूप सेएक बच्चे को खिलाना हमेशा मां का कर्तव्य माना गया है,लेकिन इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है और इसके लिए फादर्स डे से बेहतर दिन क्या हो सकता है?

हमने हाल ही में झारखंड में पोशण पखवा$डा (८-१६ मार्च ) मनाया, जिसे पुरूशों की भूमिका पर केंद्रित किया गया था, विशेशकर पिता की भूमिका पर किवे कैसे बच्चों की देखभाल में योगदान दे सकते हैं!पोशण पखवा$डा के दौरान कुल ५५,३७,९४६ पुरूशों ने पोशण से संबंधित विभिन्न गतिविधियों जैसे कि – पोशण रैली, प्रभात फेरी, पोशण जन आंदोलन, अन्नप्राशन तथा आंगनबा$डी केंद्रों पर आयोजित पोशण परामर्श केंद्रों में भाग लिया। मुझे प्रसन्नता है कि ब$डी संख्या में देखभालकर्ताओं नेइसमें भाग लेकर बच्चे के विकास में उनकी जिम्मवारियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर। मैें उन्हें इसके लिए उनको धन्यवाद देता हूं। एक पिता के रूप में आप तीन साधारण चीजें कर सकते हैं, जिसे हम कहते हैं: खिलाओ, खेलो और प्यार करो।

खिलाओं, खेलो और प्यार करो
इसका मतलब है कि आप अपने बच्चे को उचित पोशण प्रदान करें। उदाहरण के तौर पर आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके बेटे और बेटी एनीमिया से बचाव के लिए हर हफ्ते आयरन फोलिक एसिड की एक गोली लें। इसके अलावा आप अपने बच्चे के टीकाकरण की जिम्मेवारी ले सकते हैं तथा उनके वजन और लंबाई की माप हेतु उन्हें आंगनबा$डी केंद्रों में लेकर जा सकते हैं। आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके बच्चे तथा परिवार कोविविध प्रकार काखाद्य पदार्थ मिले।

इसी प्रकार से आप अपने बच्चों के साथ खेल सकते हैं। मैं चाहता हूं कि सभी बच्चों को उनके माता-पिता का भरपूर प्यार मिले। जब बच्चे रोएं, हंसें या किलकारी करें तो उसपर प्रतिक्रिया देकर माता-पिता को उसके साथ संवाद करना चाहिए। इससे बच्चे आश्वस्त होंगे किएक पिता के रूप में आप हमेशा उनके साथ मौजूद हैं। यह बच्चे के दिमाग के सामाजिक एवं संचार कौशल को विकसित करने में भी मदद करेगा। जब आपके बच्चे ब$डे हो रहे हों, तो उनके साथ संवाद करना चाहिए, न कि उन्हें हमेशा निर्देशित करते रहना चाहिए कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं!

मैं आपको यूनिसेफ के २०१८ के अध्ययन ÓÓपेरेंटिंग मैटर्स: एग्जामिनिंग पेरेंटिंग एपरोचेज एंड प्रैक्टिसेेज” की ओर ध्यान दिलाना चाहता हूं -जो बताता है कि अधिकांश पिता और दादा घर के बाहर बच्चे के साथ खेलते हैं, जबकि मां घर के अंदर बच्चे को कहानियां एवं गाना सुनाकर उसका मनोरंजन करती हैं। इसे बदलने की जरूरत है। पिता भी बच्चे को कहानियां सुना सकते हैं और प$ढने-लिखने में उसकी मदद कर सकते हैं। ऐसा देखा जाता है कि बच्चे की छोटी आयु (०-३ वर्श) के दौरान मां अपनी बेटियों के साथ, जबकि पिता बेटे के साथ खेलते हैं। लेकिन आपको इसे बदलने का प्रयास करना चाहिए और अपने बेटे और बेटियों दोनों के साथ खेलना चाहिए। अंतोगत्वा हम एक समानता आधारित समाज हैं और इसलिए यह बदलाव हमारे अपने घर से ही शुरू होना चाहिए।

और अंत में, एक पिता और अभिभावक के रूप में आपको अपने बच्चों से प्यार करने की जरूरत है। जब आप अपने बच्चे को प्यार से नहलाते हैं, तो वास्तव में आप उसे तनाव से मुक्ति देतेहैं, जो बाद में चलकर उसके अंदर टॉक्सिन पैदा कर सकता है; इसमें शारीरिक और भावनात्मक शोशण तथा उपेक्षा भी शामिल है। इसका मतलब हुआ कि एक प्यार पाने वाला बच्चा भविश्य के तनाव से बेहतर तरीके से निपटेगा, जैसे कि स्कूल केपहले दिन बच्चों को होने वाला तनाव!

इस फादर्स डे और पेरेंटिंग माह के अवसर पर, मैं आप सभी से अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताने और अपने बच्चे के विकास तथा उसके पालन में शामिल होने का आग्रह करता हूं। मुझे आशा है कि आप न सिर्फ वर्तमान महामारी के दौरान, जबकि आपमें से बहुत सारे लोग घर से काम कर रहे हैं, बल्कि इसके बीत जाने के बाद भी इस जिम्मेवारी का बखूबी वहन करेंगे।

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