रामगढ़, खूंटी, सरायकेला और जामताड़ा में जल्द ब्लड बैंक खोले जाएंगे। इन जिलों में इसके लिए भवन बनकर तैयार है। ब्लड बैंकों के संचालन के लिए सरकार की ओर से कार्रवाई चल रही है। चारों जिलों में ब्लड बैंक के संचालन की जिम्मेवारी इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी को दी जा सकती है। मुख्य सचिव डीके तिवारी ने स्वास्थ्य सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी को इन चारों जिलों के ब्लड बैंकों को रेड क्रॉस सोसायटी के माध्यम से प्रारंभ करने के विकल्प पर विचार करने का सुझाव दिया है। फिलहाल रांची के साथ साथ बोकारो और चतरा में रेडक्रॉस के माध्यम से ब्लड बैंक का संचालन किया जा रहा है। मुख्य सचिव ने सभी जिलों में इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी को भी कारगर तरीके से कार्यशील करने का निर्देश दिया है। दूसरे जिलों पर निर्भर होते हैं मरीज उक्त चारों जिले में (रामगढ़ में सीसीएल व मिलिट्री हॉस्पिटल ) राज्य सरकार का ब्लड बैंक नहीं है। इन जिलों में ब्लड बैँक नहीं होने से मरीजों को काफी परेशानी होती है। खूंटी व रामगढ़ के मरीजों को पूरी तरह जहां रांची पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं जामताड़ा के मरीजों की पूरी निर्भरता धनबाद पर है। जबकि सरायकेला के मरीजों के लिए चाईबासा या जमशेदपुर से ब्लड लाना पड़ता है या मरीजों को ही वहां ले जाना पड़ता है। खासकर प्रसव के लिए पहुंचने वाली एनिमिक महिलाओं को सिजेरियन के लिए रिम्स, पीएमसीएच या एमजीएम रेफर कर दिया जाता है। खूंटी में भी ब्लड बैंक के संचालन को लेकर सभी जरूरतें पूरी कर ली गई हैं। भारत सरकार के ड्रग्स कंट्रोलर की टीम ने ब्लड बैंक का निरीक्षण पूरा कर लिया है। टीम द्वारा बताई गई कमियों को भी दूर कर लिया गया है। जल्द ही लाईसेंस मिल जाने की उम्मीद है। इसी प्रकार रामगढ़ में ब्लड बैंक का भवन बनकर तैयार है। सिविल सर्जन के माध्यम से राज्य सरकार से एनओसी लेने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो पाई है। चारों जिलों में बन चुका है भवनजामताड़ा में ब्लड बैंक का भवन 2017 में भवन में ही बन चुका है। पुराने सदर अस्पताल के परिसर में 1 करोड़ 62 लाख 12 हजार 644 रुपए की लागत से इसे बनाया गया है। लेकिन भवन में अबतक बिजली की व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण ब्लड बैंक के लिए मंगाई गई मशीनें भी इंस्टॉल नहीं की जा सकी हैं। सरायकेला में भी सदर अस्पताल परिसर में ब्लड बैंक का भवन बनाया गया है। ब्लड बैंक की आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। कर्मियों की प्रतिनियुक्ति भी कर ली गईहै। हालांकि आठ साल पहले भी यहां पुराने अनुमंडल अस्पताल में झारखंड स्टेट एड्स कंट्राल सोसायटी के सहयोग से ब्लड ब्ल्ड बैंक के संचालन की व्यवस्था की गई थी। लेकिन वह आज तक प्रारंभ नहीं हो सका।