एसएमई और माइक्रो एंटरप्रेन्योर्स को महामारी से उबरने के लिए बाहरी मदद की जरूरत: चंद्रशेखरन
नई दिल्ली. 10 अप्रैल इएमएस कोरोनावायरस महामारी के कारण देश में चल रहे 14 अप्रैल तक के 21 दिनों के लॉकडाउन से अधिकांश कंपनियों में काम बंद पड़ा है और पूरे देश में व्यावसायिक गतिविधियां ठप पड़ी हैं। काम नहीं होने और कोरोना संक्रमण से बचने के लिए बड़ी संख्या में मजदूर अपने गांवों और कस्बों को लौट गए हैं। लॉकडाउन खत्म होने के बाद ऑपरेशन शुरू करने को लेकर कंपनियों ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इस बीच टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा है कि इस स्वास्थ्य संकट के खत्म होने को लेकर अभी संशय बना हुआ है। ऐसे में अपने गांवों और कस्बों को लौटे लोगों को काम पर वापस लाना सबसे बड़ी चुनौती है।
भारत की जीडीपी को 250 बिलियन डॉलर के नुकसान की संभावना
टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने ईटी से एक टेलीफोनिक इंटरव्यू में कहा कि कोरोनावायरस महामारी के कारण प्रत्येक देश में ठहराव सा आ गया है। इसके अलावा नौकरियों को बनाए रखना एक बड़ी चिंता के रूप में सामने आया है। प्रत्येक देश की जीडीपी को नुकसान हो रहा है। इस संकट से भारत की जीडीपी को करीब 250 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है। चंद्रशेखरन ने कहा कि अर्थव्यवस्था को जल्द से जल्द इस संकट से पहले वाले स्तर पर लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में लेन-देन हो नहीं रहे हैं और अर्थव्यवस्था पर कर्ज ज्यों के त्यों बने हुए हैं। चंद्रशेखरन का कहना है कि एसएमई, माइक्रो एंटरप्रेन्योर्स समेत कुछ इंडस्ट्रीज को इस महामारी से उबरने के लिए बाहरी मदद की जरूरत है।
नकदी की उपलब्धता बनाए रखें टाटा ग्रुप की सभी कंपनियां
कोरोनावायरस महामारी को देखते हुए टाटा संस ने ग्रुप की सभी कंपनियों की समीक्षा की है और सभी ग्रुप कंपनीज को पर्याप्त मात्रा में नकदी बनाए रखने को कहा है। साथ ही ग्रुप की सभी कंपनियों के सीईओ से कहा है कि वह कैपेक्स प्लान में थोड़ा संयम बरतें। टाटा संस ने कोरोना महामारी के कारोबार पर प्रभाव को देखते हुए सभी कंपनियों से 3 से 6 महीने तक का परिदृश्य बनाए रखने को कहा है। एन. चंद्रशेखरन ने ग्रुप के सभी सीईओ से चुस्त-दुरुस्त रहने को कहा है। साथ ही कारोबार में सहयोग बढ़ाने और डिजिटलाइजेशन को लेकर आक्रामक रहने को कहा गया है।