कवियों ने वेलेंटाइन डे को समर्पित की कथा गोष्ठी

‘गृहस्वामिनी’ की पहल

जमशेदपुर : अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका ‘गृहस्वामिनीÓ के मंच पर देश-विदेश के कहानीकारों की सहभागिता से ‘कथा गोष्ठीÓ का आयोजन हुआ, जो ‘प्रेमÓ के इर्द-गिर्द धागों को बुनता रहा. कार्यक्रम का प्रारंभ संपादक अर्पणा संत सिंह के रचनाकारों के अभिनंदन के साथ हुआ. पहली कहानी अनुपम मिठास की ‘मैं लौट आया हूंÓ थी, जिसका संदेश था कि प्यार और विश्वास तो रिश्तों की गर्माहट के लिए जरूरी हैं परंतु विपरीत परिस्थितियों में भी ख्याल रखने की जो जिम्मेदारी का भाव होता है, वही रिश्तों के लिए कंक्रीट का काम करता है. डीबीएमएस कॉलेज ऑफ एजुकेशन की प्राचार्य और साहित्यकार डा. जूही समर्पिता ने ‘आओगी न मम्मीÓ नामक कहानी सुनाई, जो पत्र रूप में एक 10 वर्षीय बालक के विदेश में रहनेवाली मां के प्रति अपनी भावनाओं और आकांक्षाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति थी. खुशबू ने सरस्वती वंदना गाकर अर्पणा की रचना की प्रस्तुति पेश की.
नीरजा राजकुमार (अवकाशप्राप्त प्रशासनिक पदाधिकारी) ने अपने प्रशासनिक जीवन के अनुभवों पर आधारित एक कहानी ‘बी रिपोर्टÓ सुनाई जो एक महिला अधिकारी की संवेदनशीलता पर आधारित थी. मॉरीशस की कथाकार कल्पना लाल ने ‘पुनर्जन्मÓ नामक एक दुर्घटनाग्रस्त महिला के अनुभवों को कथा के रूप में बांधा. वहीं मॉरीशस की ही कथाकार अंजू ने रोहित और रवि, दो चरित्र के माध्यम से रिश्तों की आधारशिला का सच समझाया. केरल से राधा जनार्दन ने बढ़ती उम्र की स्त्री के चरित्र की व्याख्या करते हुए पुरानी पीढ़ी में सांस्कृतिक मूल्यों को बचाए रखने के जद्दोजहद को चित्रित किया. हरियाणा से सोनिया अक्स ने ‘मेरे लिए मोहब्बत क्या हैÓ पर चंद पद्यात्मक पंक्तियों के बाद अपनी लघुकथा परोसी. लुधियाना से सीमा भाटिया ने अपनी कहानी ‘मन्नत का धागाÓ सुनाई, वहीं बिहार से कुमुद रंजन झा ने ‘डायरी के अधूरे पन्नेÓ नामक कथा का वाचन किया. शहर की सुधा गोयल ने ‘प्रीत का रागÓ में मन के सौंदर्य को स्थापित करने की कोशिश की तो हरिद्वार से रजनी दुर्गेश ने एक पत्नी के अपने मृत पति से आत्मा के जुड़ाव को कथा के रूप में परोसा. शहर की रत्ना माणिक ने ‘लौट आया मधुमासÓ नामक एक कहानी सुनाई जो एक किन्नर की प्रेम कथा थी. सुधा मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इसे सफल बनाने में रीता रानी, विनी भटनागर, सुरेखा अग्रवाल, रेखा सिंह, शशि कला सिन्हा, डॉ सुनील नंदवानी, डॉ उमा सिंह किसलय, रोहिणी रामस्वरुप, समाधा नवीन वर्मा आदि श्रोताओं की भी उपस्थिति रही.

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