नई दिल्ली. 16 अक्टूबर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अयोध्या में राम जन्मभूमि या बाबरी मस्जिद के मामले पर आखिरी सुनवाई पूरी हो गई और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. अब इस मामले पर 17 नवंबर से पहले कभी भी फैसला सुनाया जा सकता है. सुनवाई के अंतिम दिन इस केस में जोरदार बहस देखने को मिली और खूब ड्रामा भी हुआ.
दरअसल बुधवार को जब सुनवाई के दौरान हिन्दू महासभा की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने दलीलें देनी शुरू की तो मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन के साथ उनकी तीखी बहस हुई. कोर्ट की कार्यवाही के दौरान विकास सिंह ने एक किताब पेश की जिसमें जन्मस्थान का कथित नक्शा दिखाया गया था. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन इस पर भड़क गए और उन्होंने इसे गुस्से में सीजेआई के सामने ही फाड़ दिया.
दरअसल हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने बिहार के पूर्व आइपीएस अधिकारी रहे किशोर कुणाल की किताब का हवाला देते हुए कहा, ‘हम अयोध्या रीविजिट किताब कोर्ट के सामने रखना चाहते हैं जिसे रिटायर आईपीएस किशोर कुणाल ने लिखा है. इसमें राम मंदिर के पहले के अस्तित्व के बारे में लिखा है. किताब में हंस बेकर का कोट है. चैप्टर 24 में लिखा है कि जन्मस्थान के वायु कोण में रसोई थी. जन्मस्थान के दक्षिणी भाग में कुआं था. बैकर के किताब के हिसाब से जन्मस्थान ठीक बीच में था.
किशोर कुणाल द्वारा लिखित अयोध्या रीविजिटेड में विस्तार में जानकारी दी गई है कि श्री राम जन्मभूमि कहां अवस्थित है.
वकील सिंह ने कोर्ट को किशोर कुणाल की किताब में संलग्न नक्शा दिखाया,लेकिन कोर्ट ने इसकी इजाजत नहीं दी। उसके बाद उन्होंने कोर्ट से पूछा कि वे इस नक्शे का क्या करें। कोर्ट ने कहा कि वे चाहें तो इसे फाड़ सकते हैं। उसके बाद मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कोर्टके भीतर की उस नक्शा के पांच टुकड़े कर दिया।
बता दें कि ये किताब 2016 में प्रकाशित की गई थी. इस किताब में लिखा गया है कि अयोध्या स्थित राम मंदिर को 1528 में मीर बाकी ने ध्वस्त नहीं किया था. बल्कि इसे 1660 में औरंगजेब के रिश्तेदार फिदाई खान ने तोड़ा था.
राम जन्मभूमि केस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है.
किशोर कुणाल लिखित इस किताब अयोध्या रीविजिटेड में दावा किया गया है कि 6 दिसंबर 1992 को जिस विवादित ढांचे को तोड़ा गया था, वो बाबरी मस्जिद नहीं थी. किताब के मुताबिक इस बात के पर्याप्त सूबत हैं कि यहां पर राम मंदिर विराजमान था.
किताब में कहा गया है कि बुकानन के रिकॉर्ड्स के मुताबिक औरंगजेब के शासनकाल में अयोध्या, काशी और मथुरा के मंदिर तोड़े गए थे. इस किताब में कहा गया है कि बाबर एक उदार शासक था और विवादित बाबरी मस्जिद के निर्माण में उसका कोई रोल नहीं था.
इस किताब में कहा गया है कि अयोध्या में मात्र एक सबूत था जिससे साबित होता था कि इस मंदिर को बाबर से निर्देश के बाद मीर बाकी ने तोड़ा था. ये सबूत था दो शिलालेख. किताब में कहा गया है कि मीर बाकी से जुड़ा ये सूबत झूठा है.
किशोर कुणाल ने कहा –
नक्शा फाड़े जाने पर उसके लेखक कुणाल किशोर का बयान भी आ गया है. उन्होंने कहा कि धवन इंटेलेक्चुअल हैं. वह जानते हैं कि अगर नक्शा कोर्ट के सामने पेश होता तो उनका केस न के बराबर रह जाता. अगर धवन को दिक्कत थी तो उन्हें दिए गए वक्त में उसपर बात करनी चाहिए थी.