जमशेदपुर, 26 अगस्त (रिपोर्टर) : भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व झारखंड में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर काफी गंभीर है, उसकी गंभीरता से अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंता विस्व सरमा सरीखे नेताओं को मैदान में उतारा गया है और वे यहां पसीना भी खूब बहा रहे हैं. मगर खंड-खंड में बंटी स्थानीय भाजपा इकाइयां और पार्टी के बजाय व्यक्ति विशेष के प्रति निष्ठा रखनेवाले स्थानीय नेताओं की करनी कुछ अलग ही कहानी बताती है.
ऐसे दर्जनों उदाहरण सामने हैं, जिसमें देखा जा चुका है कि स्थानीय स्तर पर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की बोली खास मुद्दे पर ही उठती है. वे पार्टी हित को तिलांजलि दे चुके नजर आते हैं. कुछ ऐसा ही ताजा मामला कांग्रेस नेता एवं पूर्व सांसद डा. अजय कुमार द्वारा पूर्व केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के खिलाफ भुइयांडीह प्रकरण को लेकर दिया गया बयान है. भाजपा नेताओं के दिवालियापन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इतने गंभीर मुद्दे पर जिसमें उनके पूर्व केन्द्रीय मंत्री पर ऐसा गंभीर आरोप लगाया गया है, वे मौन बैठे हुए हैं.
भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष सह रांची ग्रामीण जिला प्रभारी बिनोद सिंह ने संवाददाता सम्मेलन कर जरुर इस मुद्दे पर कड़ा प्रतिवाद जताते हुए अर्जुन मुंडा के उक्त पत्र को लेकर पक्ष रखा है. संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ पूर्व महानगर अध्यक्ष चंद्रशेखर मिस्रा और भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश महामंत्री हलधर नारायण साह भी मौजूद थे। मगर हैरत इस बात की है कि डा. अजय कुमार के लगातार हमलावर होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के बयानबाजी वीर नेताओं के मुंह में इस मुद्दे पर दही जमा हुआ है. यह सब भी ऐसे समय में हो रहा है, जब टिकट के दावेदारी के लिये पार्टी में मारामारी चल रही है. अपनी दावेदारी को सुनिश्चित करने के लिये अपना पूरा प्रोफाइल भेजा जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी के बारे में अब ठीक ही कहा जाता है कि वह संघर्ष करना भूल चुकी है. सत्ता का ऐसा स्वाद चखा है कि अब पार्टी को लेकर नेताओं में वैसी निष्ठा नजर नहीं आती. भाजपा नेताओं के आलम का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कल जमशेदपुर पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने अपनी पार्टी के बूथस्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने अर्जुन मुंडा से उक्त पत्र के बारे में पूछा है उनका कहना है कि भुइयांडीह से संबंधित कोई पत्र उन्होंने नहीं लिखा है. उन्होंने जो पत्र एनजीटी को लिखा है वह नदी किनारे बहुमंजिली इमारतों बनाकर किये जा रहे अतिक्रमण व दलमा क्षेत्र में बनाये जा रहे ढांचो को लेकर है. पूरे मामले का लब्बो लुआब यही है कि महानगर भाजपा इतने बड़े मुद्दे पर पिछले 48 घंटे से मौन क्यों है?
कुछ नेताओं के बयान आये हैं, जिनमें भाजपा का बचाव करने के बजाय वे सरयू राय पर ही हमलावर दिखते हैं. पिछले पांच वर्षों में जमशेदपुर महानगर भाजपा के निशाने पर कांग्रेस या झारखंड मुक्ति मोर्चा के बजाय हमेशा से सरयू राय ही रहे हैं और अब जबकि चुनाव सर पर है, भाजपा की इस मनोवृत्ति में रत्ती भर भी बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सह राज्य के मंत्री बन्ना गुप्ता के प्रति महानगर भाजपा का रवैया अब जगजाहिर हो चुका है. बिडंवना यह है कि न प्रदेश इकाई को यह सब दिखता है और न ही राष्ट्रीय नेतृत्व ऐसे मामलों पर नजर रखती है. अगर इसी तरह की खींचतान भाजपा में चलती रही और अपने ही नेताओं को ‘औकात’ बताने की ऐसी ही प्रवृति रही तो अगले तीन चार महीनों में होनेवाले विधानसभा चुनाव का परिणाम क्या होगा, बताने की जरुरत नहीं है. बताया जाता है कि केवल जमशेदपुर महानगर ही नहीं, राज्य की लगभग हर जिला इकाई और यहां तक कि राज्यस्तरीय इकाई भी इसी ‘छोटी’ मनोवृत्ति के साथ चल रही है.