चाईबासा कार्यालय, २ सितम्बर : कोरोना संक्रमण काल देश-दुनियां के साथ-साथ पश्चिमी सिंहभूम जिला के लिए भी काफी खराब रहा। आम लोगो को बेरोजगारी का सामना करना प$डा। मनरेगा से थो$डी राहत देने की पहल हुई। अब पश्चिमी सिंहभूम जिले के दिन बहुरने वाले हंै। जिले में विकास की गंगा बहेगी। कोई बेरोजगार नहीं रहेगा और जिले से रोजगार के लिए पलायन करने वाले मजदूरो की संख्या में भी काफी गिरावट आयेगी। विभिन्न विभागों द्वारा सरकारी योजनाओं का संचालन जारी है। इसके अतिरिक्त जिले में एक पखवा$डे के अंदर लगभग ७० करोड की योजनाओ की डीएमएफटी फंड से स्वीकृति दी गयी है और स्वीकृति देने का सिलसिला लगातार जारी है। अब तक स्वीकृति मिली योजनाओं में से लगभग ५० प्रतिशत योजनाओं की निविदा निकाली जा चुकी है और निरंतर निविदा निकल रही है। डीएमएफटी फंड की उक्त सभी ७० करो$ड की योजनाएं तीन तकनीकी विभाग विशेष प्रमण्डल, भवन निर्माण प्रमण्डल एवं लघु सिंचाई प्रमण्डल को ही दी गयी है। पिछले बार सर्वाधिक योजना पर कब्जा करने वाले झालको को हासिये पर डाल दिया गया है। आश्चर्य की बात है कि गांव की सरकार वाली संस्था जिला परिषद को एक भी योजना अब तक नहीं दी गयी है। इसमें कई योजनाएं संबंधित विभाग के कार्य-संस्कृति से उलट योजनाएं दी गयी है। योजना के स्वीकृति के साथ समाहरणालय स्थित डीएमएफटी शाखा से लेकर संबंधित विभागो में इन दिनो मेला लगा रहता है। संवेदको की महंगी-मंहंगी लग्जरी गा$डी समाहरणालय से लेकर संबंधित विभाग परिसर में देखी जाती है। अधिक से अधिक योजनाओं को अपनी झोली में डालने हेतु संंवेदको द्वारा सभी तरह का सेटिंग किया जा रहा है। वहीं दबी जुबान से योजनाओं के स्वीकृति में गाईड लाईन ६०-४० का अनुपालन नहीं किये जाने को लेकर विरोध के स्वर निकलने लगे है। फिलहाल इतने ब$डे पैमाने पर योजनाओं के गांव में जाने से जमीनी स्तर पर विकास की गंगा बहने का अहसास होने का इंतजार जिले की जनता कर रही है।