रांची में जनाक्रोश महारैली
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रांची प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा- मैं भी अविभाजित बिहार का निवासी रहा हूं। बिहारी हमारे भाई-बहन हैं। लेकिन अब झारखंडी अस्मिता, पहचान और अधिकार से समझौता नहीं होगा। चाहे बिहार के लोग हों या यूपी-तमिलनाडु के, उन्हें दोना दे सकते हैं मगर कोना नहीं। आदिवासी समाज में दोना में लोगों को खाना दिया जाता है। डॉ. उरांव रविवार को रांची के लोवाडीह स्थित हाईटेंशन मैदान में जनाक्रोश महारैली को संबोधित कर रहे थे।
महागठबंधन दलों और आदिवासी-मूलवासी व सामाजिक संगठनों ने पिछले दिनों सीएम के काफिले पर हमले का प्रयास और केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ इस जनाक्रोश महारैली का आयोजन किया था।
डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि मुख्यमंत्री पर एक षडय़ंत्र के तहत हमले का प्रयास किया गया था। इसके पीछे कौन लोग थे, यह किसी से छिपा नहीं है। यह मध्यप्रदेश, राजस्थान या कर्नाटक नहीं है कि वह सरकार को अस्थिर कर अपदस्थ कर दे। भाजपा वाले कहते हैं कि लोगों ने कृषि कानूनों को ठीक से पढ़ा ही नहीं है। मैं खुद अर्थशास्त्र का छात्र रहा हूं। किसान रहा हूं। हमारे कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी किसान हैं। हमें अच्छी तरह पता है कि इसमें क्या है। अगर यह कृषि कानून लागू हुआ तो हमारे देश के किसान गुलाम बन जाएंगे।
सुप्रियो भट्टाचार्य बोले-अभी झारखंड से भगाया है, अब दिल्ली से भगाएंगे
महारैली में झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने सीएम के काफिले पर हमले के प्रयास को भाजपा और आरएसएस का ष?यंत्र बताया। उन्होंने कहा-झारखंड भीख में नहीं मिली है। लड़ कर लिया है। इसलिए डरने वाले नहीं हैं। कोई हमें छेड़े तो हम छोड़ेंगे नहीं। अभी झारखंड से भगाया है, अबकी बाद दिल्ली से भगाएंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी भारतीय लाल किले पर हमला और तिरंगे का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता। इसके पीछे कौन है, यह सारा देश जानता है। जिस आरएसएस ने आजादी के वर्षों बाद अपने मुख्यालय में तिरंगा लहराया, उससे किसी को देशभक्ति सीखने की जरूरत नहीं है।
बादल ने कहा- जो केंद्र नहीं कर पाया, उसे हमने कम दिखाया
महारैली में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा- किसानों के लिए जो काम केंद्र सरकार नहीं कर पाई, उसे हमारी गठबंधन सरकार ने कर दिया। सीएम और वित्त मंत्री की पहल पर हमने दो हजार करोड़ का कृषि ऋण माफ कर दिया। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने कहा कि देश ने अब तक ऐसा पीएम नहीं देखा, जो किसानों को रोकने के लिए कील गड़वा दे। बॉर्डर की तरह राज्य की सीमा को सील कर दे। प्रधानमंत्री चाहे जितना भी रोकना चाहे, लेकिन एक दिन उन्हें किसानों के सामने घुटने टेकने ही होंगे। उन्होंने कहा कि सीएम के काफिले पर हमले का प्रयास भाजपा और आरएसएस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। वहीं, कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि भाजपा व आरएसएस झारखंडी आदिवासी को सीएम के तौर पर देख नहीं पा रही है।
निंदा प्रस्ताव पास: भविष्य में फिर ऐसा हुआ तो मुंह तोड़ जवाब देंगे
रैली में सीएम के काफिले पर हमले के प्रयास के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। कहा गया कि अगर भविष्य में फिर ऐसा हुआ तो इसका मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा।