केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीनेशन पर बड़ा फैसला लिया है। देश में 1 मई से 18 साल से ऊपर का हर व्यक्ति वैक्सीन लगवा सकेगा। वैक्सीनेशन के तीसरे फेज में तेजी से वैक्सीन लोगों को लगाने के लिए यह फैसला लिया गया है।
वैक्सीनेशन के अगले फेज को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि सरकार देश ज्यादा से ज्यादा लोगों को कम से कम समय में वैक्सीन लगाने के लिए लगातार काम कर रही है।
वैक्सीनेशन के अगले फेज को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि सरकार देश में ज्यादा से ज्यादा लोगों को कम से कम समय में वैक्सीन लगाने के लिए लगातार काम कर रही है। PM की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में वैक्सीन को लेकर कई अहम फैसले लिए गए। इसमें वैक्सीन की कीमत, उपलब्धता, इसके लिए पात्र लोग और वैक्सीन लगाने जैसी तमाम व्यवस्थाओं को लचीला बनाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ही प्रमुख डॉक्टरों के साथ बैठक में कहा कि विड-19 से लड़ाई में टीकाकरण सबसे बड़ा हथियार है. उन्होंने डॉक्टरों से अधिक से अधिक लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित करने को कहा. पीएम ने कहा कि महत्वपूर्ण बात है कि लोग घबराएं नहीं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 92 दिन में टीके की 12 करोड़ खुराकें लगाई गई है. मंत्रालय ने कहा कि कुल 12,26,22,590 खुराकें लगाई गईं. लाभार्थियों में स्वास्थ्य क्षेत्र के 91,28,146 कर्मी शामिल हैं जिन्हें टीके की पहली खुराक दी गई और 57,08,223 वे स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं जिन्हें दूसरी खुराक दी गई.
बता दें कि देश में इस समय भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वोविशील्ड लोगों को दी जा रही है. हाल ही में सरकार ने रूस की स्पूतनिक वैक्सीन को मंजूरी दी है.
सोनिया और मनमोहन ने भी की थी मांग
इससे पहले 17 अप्रैल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग में सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार को टीकाकरण के लिए अपनी प्राथमिकता पर पुनर्विचार करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि वैक्सीनेशन के लिए आयु सीमा को घटाकर 25 साल करना चाहिए। अस्थमा, मधुमेह, किडनी और लीवर संबंधी बीमारियों से पीड़ित सभी युवाओं को टीका लगाया जाना चाहिए।
इससे पहले रविवार को ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर वैक्सीनेशन को लेकर कई सुझाव दिए थे। उन्होंने अमेरिका और यूरोप में सभी अप्रूव हो चुके वैक्सीन के डायरेक्ट यूज की इजाजत देने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि केवल कुल संख्या को नहीं देखना चाहिए, बल्कि कितने प्रतिशत आबादी को टीका लग चुका है, इसे देखा जाना चाहिए।
उन्होंने ये सुझाव भी दिए कि दवा निर्माताओं के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग के प्रावधान लागू किए जाने चाहिए। साथ ही, राज्यों को टीकाकरण के लिए लोगों की केटेगरी तय करने में छूट देनी चाहिए, ताकि 45 साल से कम उम्र के लोगों को भी टीके लगाए जा सकें।