उत्तरकाशी ें
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था. इसकी वजह से ही उसके भीतर काम कर रहे मजदूर वहीं फंस गए. मजदूरों को निकालने के लिए राहत एवं बचाव कार्य जारी है.
सुरंग के बाहर भारी मशीनों को देखा जा सकता है. इनमें से ज्यादातर मशीने सुरंग में छेद करने के लिए लाई गई हैं, ताकि मजदूरों तक जल्द से जल्द पहुंचा जा सके. इस बीच सुरंग में फंसे हुए मजदूरों की पहली तस्वीर सामने आई है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजदूरों की वीडियो और तस्वीरों को शेयर किया है. इस तस्वीर में मजूदरों के एक समूह को देखा जा सकता है. इनमें से ज्यादातर को आप कंस्ट्रक्शन टोपियों के साथ देख सकते हैं.
मजदूरों तक पहुंचने के लिए एक छेद कर उसमें पाइप लगाया गया है. इस पाइप के जरिए ही मजदूरों तक कैमरा भेजा गया, जिसमें उनकी हर गतिविधि को रिकॉर्ड किया गया. पाइप के सहारे ही मजदूरों को खाना भी भेजा जा रहा है.
सीएम धामी ने कहा कि उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में फंसे मजदूरों की पहली बार तस्वीर प्राप्त हुई है. सभी मजदूर भाई पूरी तरह सुरक्षित हैं, हम उन्हें शीघ्र सकुशल बाहर निकालने हेतु पूरी ताकत के साथ प्रयासरत हैं.
तस्वीरों में देखा जा सकता है कि सभी मजदूर स्वस्थ और सुरक्षित नजर आ रहे हैं. साथ ही उनके चेहरे पर इस बात की उम्मीद भी नजर आ रही है कि उन्हें बचा लिया जाएगा. सरकार इन्हें बचाने के लिए हर संभव प्रयास भी कर रही है.
सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर से ही मजदूर फंसे हुए हैं. इनमें से ज्यादातर मजदूर स्थानीय बताए गए हैं. सीएम ने बताया है कि एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे के माध्यम से बातचीत कर उनका कुशलक्षेम पूछा गया है
उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में दिवाली के दिन अचानक भूस्खलन हो गया और वहां काम कर रहे 41 मजदूर अंदर ही फंस गए। मलबा इतना ज्यादा था कि श्रमिकों को निकालने के लिए बीते 11 दिन से बचाव अभियान चलाया जा रहा है। टीमें दिन रात सुरंग में बचाव अभियान चला रही हैं।
वहीं, सुरंग में ऑगर मशीन से 39 मीटर तक ड्रिलिंग हो चुकी है। कुल 57 से 60 मीटर तक ड्रिलिंग होनी है। अधिकारियों का कहना है कि सब कुछ ठीक रहा तो आज रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने की उम्मीद है।
सबसे पहले सुरंग में फंसे मजदूरों की संख्या 36 बताई गई थी। फिर इनकी संख्या 40 बताई गई। इसके एक सप्ताह बाद कंपनी ने 41 लोगों के फंसने की बात कही।
बचाव अभियान में भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, एनएचआईडीसीएल, उत्तराखंड पुलिस, एसजेवीएनएल, आरवीएनएल, लार्सन एंड टूब्रो, टीएचडीसी, आपदा प्रबंधन विभाग, जिला प्रशासन, ओएनजीसी, आईटीबीपी, राज्य लोनिवि, डीआरडीओ, परिवहन मंत्रालय, होमगार्ड्स जुटे हैं।
बचाव अभियान में छह प्लान पर काम किया जा रहा है। सुरंग के मुहाने से ऑगर मशीन से ड्रिलिंग, बडक़ोट छोर से ड्रिलिंग, सुरंग के ऊपर और दाएं व बाएं तरफ से ड्रिलिंग, सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग की योजना तैयार की गई।
विशेषज्ञों की टीम ने अत्याधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया। डीआरडीओ के 70 किलो के दो रोबोट यहां पहुंचे थे, लेकिन रेतीली मिट्टी होने के कारण वह चल नहीं सके। यहां ड्रोन से भी तस्वीरें लेने की कोशिश की गई, लेकिन कामयाब नहीं हुई।
इंटरनेशनल टनलिंग और अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. अर्नोल्ड डिक्स को भी बुलाया गया। साथ ही हिमाचल में सुरंग हादसे में मजदूरों को बचाने वाली टीम को भी यहां बुलाया गया।
नौवें दिन देर शाम टीम को सफलता मिली और छह इंच का दूसरा फूड पाइप मजदूरों तक पहुंचा दिया गया। देर शाम इसी पाइप से उन्हें खाने के लिए खिचड़ी और मोबाइल चार्ज करने के लिए चार्जर भेजे गए थे।