नई दिल्ली: पहले लोकसभा, फिर विधानसभा चुनावों में एग्जिट पोल्स के भद पिटने के बाद चुनाव आयोग ने भी इसे आड़े हाथों लिया है। महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के तारीखों का ऐलान करते हुए देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने न केवल एग्जिट पोल्स पर सवाल उठाए बल्कि टीवी चैनलों को भी खुलकर नसीहत दी। उन्होंने मतगणना और फिर परिणाम प्रकाशित करने की प्रक्रिया समझाते हुए कहा कि किसी भी सूरत में सुबह 8.50 बजे से पहले कोई रुझान आने का सवाल ही नहीं उठता, फिर 8 बजने कुछ मिनटों में ही रुझान कैसे दिखाए जाने लगते हैं? राजीव कुमार ने इन रुझानों को बिल्कुल फर्जी बताते हुए कहा है कि एग्जिट पोल्स और मीडिया संस्थानों को अपनी जिम्मेदारियां समझकर आत्मचिंतन करना होगा।
आत्मचिंतन करें एग्जिट पोल्स वाले: राजीव कुमार
राजीव कुमार ने कहा, ‘एग्जिट पोल को हम गवर्न नहीं करते। लेकिन आत्मचिंतन की जरूरत है जरूर है कि सर्वे का सैंपल साइज क्या था, सर्वे कहां हुआ, उसका रिजल्ट कैसे आया, अगर रिजल्ट मैच नहीं किया तो मेरा कोई उत्तरदायित्व है या नहीं? ये सब देखने की जरूरत है। एनबीएस जैसी कुछ संस्थाएं हैं जो एग्जिट पोल्स को गवर्न करती हैं। मेरे हिसाब से अब वक्त आ गया है कि ये संस्थाएं आत्मचिंतन करें।’
उम्मीद और असलियत में अंतर और कुछ नहीं, सिर्फ फ्रस्ट्रेशन है।
आपाधापी में दिए जाते हैं फर्जी रुझान
मुख्य चुनाव आयुक्त ने संवाददाताओं से कहा कि जिस दिन पोलिंग खत्म हुई, उससे करीब-करीब तीसरे दिन मतगणना होती है। इधर, पोलिंग खत्म होने के दिन शाम छह बजे से बताया जाने लगता है कि ये होने वाला है। लोगों को भी लगता है कि यही होने वाला है। लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार सार्वजनिक नहीं है। जब काउंटिंग का समय शुरू होता है तब सुबह 8 बजके 5 मिनट या 10 मिनट से रिजल्ट आने शुरू हो जाते हैं। यह बिल्कुल फालतू है।
8.50 बजे से पहले के सारे रुझान फर्जी
उन्होंने बताया, ‘मेरी (चुनाव आयोग की) पहली काउंटिंग 8.30 बजे शुरू होती है। हमारे पास प्रमाण है कि 8.15 या 8.30 बजे से आने लगा कि इतने की लीड, इतने की लीड। ऐसा तो नहीं है कि एग्जिट पोल्स को सही साबित करने के लिए वो ट्रेंड्स आ गए? पहले राउंड की काउंटिंग में अगर 20 मिनट भी लगा तो 8.50 बजे से पहले तो कोई ट्रेंड आ ही नहीं सकता। चुनाव आयोग 9.30 बजे पहला ट्रेंड वेबसाइट पर डालता है। फिर हर दो-दो घंटे में ट्रेंड चरण दर चरण की मतगणना के परिणाम डाले जाते हैं।’
राजीव कुमार ने कहा, ‘मानते हैं कि संवाददाता वहां मौजूद होते हैं जो पहले बता देते हैं। रिजल्ट को स्क्रीन में दिखाना पड़ता है, एजेंट के साइन लेने पड़ते हैं, ऑब्जर्वर से जस्टिफाई करवाना पड़ता है। इस तरह चुनाव आयोग की वेबसाइट पर आने में आधा घंटा लग सकता है। तो सवाल है कि 8.50 बजे से पहले पहला रुझान कैसे आ जाता है?’
उम्मीद टूटने पर होता है फ्रस्ट्रेशन
उन्होंने कहा कि ये सब एग्जिट पोल्स से बनी उम्मीदों के कारण होता है। दबाव में फटाफट ट्रेंड्स दिखाए जाने लगते हैं, लेकिन असल परिणाम आने के बाद उम्मीदें टूटती हैं तो बखेड़ा खड़ा हो जाता है। उन्होंने कहा, ‘उम्मीद और असलियत में अंतर और कुछ नहीं, सिर्फ फ्रस्ट्रेशन है।’ मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि ये एक ऐसा विषय है, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इस मामले में चुनाव आयोग के हाथ बंधे हुए हैं, लेकिन उम्मीद है कि संबंधित संस्थाएं जरूर इस ओर ध्यान देंगी।