यूपीए के प्रतिनिधियों ने झारखंड में तमाम राजनीतिक उठापटक के बीच आज यानी गुरुवार को राज्यपाल से मुलाकात की.
इस प्रतिनिधिमंडल में कई नेता शामिल रहे. कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा, जेएमएम सांसद महुआ मांझी और सांसद विजय हांसदा पूर्व मंत्री बंधु तिर्की, धीरज साहू, प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्या के अलावा कुछ और पदाधिकारी राजभवन में राज्यपाल से मिले हैं. यूपीए प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर बात की और उनसे रुफ साफ करने को कहा है. यूपीए ने मुलाकात के दौरान राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा.
राज्यपाल को सौंपा हुआ ज्ञापन
राज्यपाल से मिलने के बाद एक नेता ने कहा कि एक दो दिन में मामला को स्पष्ट किया जाएगा. हमने राज्यपाल से कहा कि राज्य में जो उहापोह की स्थिति है उसे दूर कीजिए. राज्यपाल ने कहा कि चुनाव आयोग से रिपोर्ट मिल गई है. उन्हें कुछ चीजों में डाउट है, इसलिए कानून विशेषज्ञों की राय ले रहे हैं. कुछ बातें असमंजस की स्थिति में है. एक दो दिनों में चुनाव आयोग को चीजें क्लीयर कर दूंगा. हम सभी लोग एकसाथ बैठकर बात करेंगे.
राज्यपाल के साथ लगभग आधे घंटे तक यूपीए के प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं की बात हुई. प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत के क्रम में राज्यपाल ने कहा कि अभी वह इस मामले पर कई विधि विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं. प्रतिनिधिमंडल में शामिल यूपीए के सांसदों ने उनसे आग्रह किया कि इस मामले पर जल्द निर्णय लिया जाये. राज्य में इसको लेकर ऊहापोह की स्थिति है. इस पर राज्यपाल ने कहा कि वह भी जल्द इस पर अपना निर्णय निर्वाचन आयोग को भेजेंगे. इसमें दो दिन भी लग सकता है सप्ताह भर भी लग सकता है. यानी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को अभी और इंतजार करना पड़ेगा.
राज्यपाल को दिया ज्ञापन
यूपीए नेताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया है. ज्ञापन में राज्यपाल के कार्यालय पर मीडिया में खबरें लीक करवाने का आरोप लगाया गया है. ज्ञापन में कहा गया है कि हेमंत सोरेन को विधायक से अयोग्य ठहराने संबंधी मामले पर राज्यपाल तुरंत स्थिति साफ करें क्योंकि देरी से राज्य में राजनीतिक अराजकता और अस्थिरता की स्थिति पैदा हो गई है.
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जल्द स्थिति स्पष्ट करें महामहिम
अपने ज्ञापन में यूपीए की तरफ से कहा गया कि महामहिम, जैसा कि आपको ज्ञात होगा, स्थानीय एवं राष्ट्रीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा गुरुवार, 25 अगस्त 2022 से महामहिम के कार्यालय के सूत्रों का हवाला देते हुए व्यापक रूप से यह प्रसारित किया जा रहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत चुनाव आयोग से बरहेट विधानसभा क्षेत्र के विधायक हेमन्त सोरेन जी और वर्तमान में झारखण्ड राज्य के माननीय मुख्यमंत्री को भारत के संविधान के अनुच्छेद 192 (1) के तहत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9-ए के तहत अयोग्य घोषित करने सम्बन्धी पत्र महामहिम के कार्यालय को प्राप्त हुआ है.
हमें यह जानकर और भी आश्चर्य हुआ कि सभी समाचारों में प्रकाशित किया जा रहा है कि झारखण्ड के माननीय राज्यपाल द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 192(1) के तहत श्री हेमन्त सोरेन जी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अंतर्गत अयोग्य घोषित करने का निर्णय संभावित है, इससे संबंधित जानकारी राजभवन द्वारा जल्द जारी की जायेगी. इस तरह की खबरों को स्थानीय और राष्ट्रीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सनसनीखेज बनाया जा रहा है, जिससे बहुत सारी अनिश्चितता पैदा हो रही है और अफवाहों को बढ़ावा मिल रहा है. इन सभी समाचारों का महामहिम के कार्यालय से लीक होने की सूचना दी जा रही है और यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि राज्यपाल का कार्यालय एक संवैधानिक कार्यालय है और जनता की नजरों में इसके प्रति अत्यंत सम्मान रहता है. तथा महामहिम के कार्यालय से झूठी खबरों का निकलना भी सच माना जाता है. ऐसे में महामहिम के कार्यालय से झूठी अफवाह का प्रसारित होना राज्य में अराजकता और भ्रम की स्थिति पैदा कर राज्य के प्रशासन और शासन को प्रभावित कर रहा है. यह मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जी के नेतृत्व में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक द्वेष को भी प्रोत्साहित करता है. यद्यपि महामहिम द्वारा चुनाव आयोग से प्राप्त गोपनीय राय को अभी सार्वजनिक किया जाना है, राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी, भाजपा द्वारा मध्यावधि चुनाव, माननीय मुख्यमंत्री के इस्तीफे, आदि की मांग सार्वजनिक रूप से की जा रही है. जो कि अवांछित है. महामहिम जैसा कि आप जानते हैं, माननीय मुख्यमंत्री की अयोग्यता अगर सामने भी आती है तो सरकार पर कोई इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि झामुमो-कांग्रेस-आरजेडी-निर्दलीय गठबंधन को अभी भी राज्य विधानसभा में प्रचंड बहुमत प्राप्त है. अतः हम महामहिम से इस तरह से प्रसारित किये जा रहे समाचारों की सत्यता उजागर करने का आग्रह करते हैं, जिससे राज्य में फैली भ्रम की स्थिति और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के असंवैधानिक प्रयास पर विराम लगे.