इनकम टैक्स स्लैब में 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. उम्मीद की जा रही है कि 8 साल बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नौकरीपेशा लोगों के लिए बजट में बड़ी सौगातों का ऐलान कर सकती हैं. इसमें इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव भी शामिल है.
अरुण जेटली ने किया था टैक्स स्लैब में बदलाव
बताया जा रहा है कि वर्ष 2022 के आम बजट में टैक्स फ्री इनकम की सीमा बढ़ाने की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर सकती हैं. वर्ष 2014 में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में टैक्स स्लैब में कुछ परिवर्तन किये थे. इसके बाद से स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ.
2 लाख से 2.5 लाख हुई थी टैक्स फ्री इनकम
अरुण जेटली ने वर्ष 2014 के आम बजट में टैक्स फ्री इनकम की लिमिट 2 लाख रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दी थी. वरिष्ठ नागरिकों की टैक्स फ्री इनकम 2.5 लाख रुपये थी, जिसे बढ़ाकर अरुण जेटली ने 3 लाख रुपये करने का अपने बजट भाषण में ऐलान किया था. तब से आज तक बेसिक इनकम पर टैक्स छूट की सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ.
1 फरवरी को बजट पेश करेंगी निर्मला सीतारमण
उम्मीद की जा रही है कि निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2022 को संसद में बजट पेश करेंगी. कोरोना संकट की मार के बीच उन्हें अपना चौथा बजट पेश करना है. जानकारों का कहना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण टैक्स फ्री इनकम की लिमिट 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर सकती हैं. वहीं, वरिष्ठ नागरिकों की 3.5 लाख रुपये की इनकम टैक्स फ्री हो सकती है.
क्या कहता है केपीएमजी का सर्वेक्षण
न्यूज एजेंसी एएनआई ने कहा है कि केपीएमजी (KPMG) के सर्वे में 64 फीसदी से अधिक लोगों ने कहा है कि वे चाहते हैं कि करमुक्त आय की सीमा 3 लाख रुपये की जाये. केपीएमजी के टैक्स विभाग के राष्ट्रीय प्रमुख राजीव डिमरी ने कहा है कि सर्वे में शामिल लोगों ने कहा है कि अमीरों के टैक्स स्लैब में भी बदलाव होना चाहिए.
2020 में नये टैक्स युग की निर्मला ने की थी शुरुआत
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में वित्त मंत्री बनीं निर्मला सीतारमण ने आज तक टैक्स के स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है. वर्ष 2020 के बजट में उन्होंने एक नयी टैक्स युग की शुरुआत की थी. हालांकि, नये टैक्स रिजीम को अनिवार्य नहीं किया गया था. लोगों को विकल्प दिया गया था कि वे जिस व्यवस्था को अपनाना चाहें, अपना सकते हैं.
टैक्स स्लैब यहां देखें
अभी नौकरीपेशा लोगों को 2.5 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं देना पड़ता. 2.5 लाख से 5 लाख रुपये की आय पर 5 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. 5 लाख से 7.5 लाख रुपये तक की आय पर 20 फीसदी टैक्स देना पड़ता था, जबकि नये टैक्स युग में 10 फीसदी कर का भुगतान करना पड़ता है. 7.5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर पहले 20 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ता था, अभी 15 फीसदी देना पड़ता है.
10 लाख से अधिक की आय पर टैक्स के तीन स्लैब
पुराने टैक्स स्लैब में 10 लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय पर 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता था. निर्मला सतारमण ने इसको तीन हिस्से में बांट दिया. 10 से 12.5 लाख रुपये पर अब 20 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. 12.5 लाख रुपये से 15 लाख के बीच कमाने वालों को 25 फीसदी और 15 लाख से अधिक की कमाई करने वालों को 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता है.
सेस और सरचार्ज बढ़ाता है टैक्स का बोझ
सेस और सरचार्ज की वजह से लोगों ज्यादा टैक्स का भुगतान करना पड़ता है. एक व्यक्ति, जिसकी टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये है, उसे सेक्शन 87ए के तहत दोनों की टैक्स व्यवस्था में 12,500 रुपये तक की छूट दी जाती है. 5 लाख रुपये तक कमाने वाले लोगों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता. 80सी के तहत मिलने वाली छूट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. 80सी में 1 लाख रुपये पर टैक्स की छूट मिलती थी, जिसे वर्ष 2014 में बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दी गयी. वहीं, होम लोन पर ब्याज में छूट की सीमा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी थी.