आठ पदाधिकारियों मेंं से तीन को हारने वाले उम्मीदवार मान रहे
जमशेदपुर, 15 जनवरी (रिपोर्टर): टाटा वर्कर्स यूनियन के चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष की तैयारी जोरों से चल रही है. विपक्ष चुनाव पदाधिकारी व छ: कमेटी सदस्यों में तीन सदस्यों को मिली जीत के बाद अब आगे की तैयारी में जुट गई है. सत्ता पक्ष के आठ पदाधिकारियों में से दो पदाधिकारियों पर नजर टिकी है. उन्हें हराने के लिए अभी से तैयारी में जुट गए हैं.
टाटा वर्कर्स यूनियन में सत्ता पक्ष से अरविन्द पांडेय के नेतृत्व में आठ पदाधिकारी हैं जबकि सतीश टीम में दो पदाधिकारी हैं. टाटा वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. उन्होंने पहले ही चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा कर दी है. अरविन्द पांडेय अध्यक्ष पद के उम्मीदवार हैं जबकि विपक्ष से पूर्व डिप्टी प्रेसीडेंट संजीव चौधरी उम्मीदवार हैं. यूनियन का चाणक्य एस आलम को माना जाता है. कमेटी सदस्यों की बातों को मानें तो यहां तक कहा जाने लगा है कि आर रवि प्रसाद भले ही अध्यक्ष हैं लेकिन यूनियन के वाइस प्रेसीडेंट एस आलम ही अध्यक्ष को चला रहे थे. वह जो कहते गए आर रवि प्रसाद करते गए. अब आर रवि प्रसाद तो सेवानिवृत्त हो रहे हैं इसलिए अरविन्द को भी वहीं चलाने के लिए पूरी रण्नीति बना ली है. चुनाव में यूनियन के डिप्टी प्रेसीडेंट अरविन्द पांडेय व वाइस प्रेसीडेंट एस आलम पर नजर टिकी है. विपक्ष चुनाव में अरविन्द व एस आलम को कैसे मात दे इसके लिए तैयारी कर रहे हैं. चुनाव में एस आलम को किस तरह से सबक सिखाया जाए इसके लिए आपसी मंथन भी पूरी हो गई है. कहा जाने लगा है कि कमेटी सदस्य जोगिन्दर सिंह जोगी ने जब से एस आलम को छोड़ कर सतीश का साथ देना शुरू कर दिया है उसमें आलम का किला फतह करना आसान लग रहा है लेकिन यह कैसे होगा फिलहाल आने वाले समय में दिखेगा. चुनाव में अरविन्द व आलम को विपक्ष मात देने में सफल हो पाता है या नहीं यह चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा. विपक्ष चुनाव में वाइस प्रेसीडेंट भगवान सिंह, शत्रुघ्र राय व ट्रेजरर प्रभात लाल को कोई टक्कर होने की संभावना नहीं जता रहे हैं. विपक्ष को लगता है भगवान सिंह, शत्रुघ्र राय व प्रभात लाल की खुद हार हो जाएगी उनसे चुनाव में किसी तरह की चुनौती की उम्मीद भी नहीं है. असिस्टेंट सेक्रेट्री धर्मेन्द्र उपाध्याय व के के सिंह को बदल-बदल करने वाले नेता माना जा रहा है. विपक्ष को लगता है कि चुनाव के दिन जब मतगणना स्थल पर परिणाम दिखेगा तो वे उनसे अपना दल-बदल कर सकते हैं. विपक्ष किसी भी हाल में असिस्टेंट सेक्रेट्री नितेश राज को टीम में जगह देने के लिए तैयार नहीं दिख रहा है. विपक्ष मान रहा है कि यदि चुनाव में जीत होती भी है तो उनसे समझौता नहीं किया जाएगा. कमेटी सदस्यों के बीच चर्चा यह है कि जब नितेश राज के ही बयान के बाद सत्ता पक्ष में फूट पड़ रहा था तो अरविन्द व सतीश को साथ लाने वाले वही थे लेकिन एक दिन में ही अपना निर्णय बदल लिया. माना जा रहा है कि विपक्ष की नजर में अरविन्द, आलम के बाद नितेश राज भी निशाने पर होगा.