नए आईटी नियमों को लेकर केन्द्र और माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर (Twitter) के बीच चले आ रहे विवादों के बीच दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने गुरुवार को स्पष्ट करते हुए कहा है कि अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर किसी तरह का नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का अगर उल्लंघन करता है, तो केन्द्र सरकार कार्रवाई के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है. कोर्ट में अब इस मामले पर 28 जुलाई को अगली सुनवाई होगी.
दरअसल, अंतरिम अधिकारी की नियुक्ति को लेकर ट्विटर ने हलफनामा दायर किया था. इससे पहले, ट्विटर ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि वह 8 हफ्तों के भीतर शिकायत अधिकारी की नियुक्त करेगा. कोर्ट को ट्विटर की ओर से यह भी बताया गया कि वह आईटी नियमों के अनुपालन के लिए भारत में एक संपर्क कार्यालय स्थापित करने की प्रक्रिया में है और यह कार्यालय उनका स्थायी होगा.
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए ट्विटर को दो दिन के भीतर यह बताने के लिए कहा था कि वह कब तक नए आईटी कानून के तहत स्थानीय रेजिडेंट ग्रीवांस ऑफिसर (आरजीओ) की नियुक्त करेगा. कोर्ट ने मंगलवार को माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर को आठ जुलाई को यह बताने का निर्देश दिया था कि रेजिडेंट ग्रीवांस ऑफिसर की नियुक्ति कब करेगा.
ट्विटर के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में 28 मई को वकील अमित आचार्य ने शिकायत दर्ज कराई थी. दलील में कहा गया है कि ट्विटर एक महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ है, जैसा कि आईटी नियम 2021 के तहत निर्धारित किया गया है और इसलिए इन नियमों के प्रावधानों द्वारा उस पर लगाए गए वैधानिक कर्तव्यों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए. याचिका में तर्क दिया गया है कि प्रत्येक महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ के पास न केवल एक रेजीडेंट ग्रीवांस अधिकारी को नियुक्त करने की जिम्मेदारी है, जो एक निश्चित समय के भीतर शिकायतों को प्राप्त करने और निपटाने के लिए एक प्वाइंट प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा और सक्षम अधिकारियों द्वारा जारी किसी भी आदेश, नोटिस और निर्देश को स्वीकार करें.