तृतीय चंद्रघंटा

उपासना मंत्र : पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता. प्रसादं तनुते महयं चन्दघण्टेति विश्रुता॥
शक्ति के रूप में विराजमान मां चंद्रघंटा मस्तक पर घंटे के आकार के चंद्रमा को धारण किए हुए हैं. देवी का यह तीसरा स्वरूप भक्तों का कल्याण करता है. इन्हें ज्ञान की देवी भी माना गया है. बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के चारों तरफ अद्भुत तेज है. इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है. यह तीन नेत्रों और दस हाथों वाली हैं. इनके दस हाथों में कमल, धनुष-बाण, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा जैसे अस्त्र-शस्त्र हैं. कंठ में सफेद पुष्पों की माला और शीर्ष पर रत्नजडि़त मुकुट विराजमान हैं. यह साधकों को चिरायु, आरोग्य, सुखी और संपन्न होने का वरदान देती हैं. कहा जाता है कि यह हर समय दुष्टों के संहार के लिए तैयार रहती हैं और युद्ध से पहले उनके घंटे की आवाज ही राक्षसों को भयभीत करने के लिए काफी होती है.

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