ताज्जुब-ट्रिब्यूनल 2 धनबाद के पीठासीन पदाधिकारी ने शोक अवकाश में भी कोर्ट लगाई

धनबाद, 23 सितंबर: संवाददाता धनबाद बार एसोशिएशन के महासचिव जीतेंद्र कुमार ने झारखंड के उच्च न्यायाधीश को पत्र लिखकर शिकायत की है कि सेंट्रल गवर्नमेंट इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल- 2,धनबाद के पीठासीन पदाधिकारी डा एस के ठाकुर ने कल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पी देव के निधन पर घोषित शोक अवकाश के बावजूद कोर्ट लगाई और बिना अधिवक्ताओं की मौजूदगी और उनको सुने ही आदेश पारित किया। महासचिव ने कहा है कि पीठासीन पदाधिकारी डा ठाकुर अगले महीने 3 अक्टूबर को अवकाश ग्रहण करने वाले हैं, इसीलिये उनकी जल्दबाजी सहज अनुमान्य है।
उल्लेखनीय है कि इस पद पर कानून और श्रम मंत्रालय द्वारा नियुक्ति की जाती है और यह न्यायिक कोर्ट है। डा ठाकुर इस पद पर आने के पहले केंद्रीय भविष्य निधि संगठन में कार्यरत थे. वे एक चर्चित पदाधिकारी रहे। इस मामले में धनबाद बार के सदस्य एवं अधिवक्ता दीपक शाह ने उक्त पदाधिकारी द्वारा कल कोर्ट लगाये जाने की शिकायत एसोसिएशन से की है जिसकी प्रतिलिपि भी मुख्य न्यायाधीश को भेजी गई है। माननीय न्यायाधीश के निधन के कारण धनबाद सहित राज्यों के तमाम अधिवक्ताओं ने कल न्यायिक कार्य से अपने को अलग रखा ।इस संबंध में झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा भी सभी अधीनस्थ न्यायालयों को बंद रखने की सूचना जारी की गई थी। पीठासीन पदाधिकारी को भी इसकी जानकारी दी गई थी। इसके बावजूद उन्होंने कल अपराह्न दो बजे के बाद कोर्ट लगाई और अधिवक्ताओं को सुने बिना ही कतिपय मामलों में आदेश पारित किये। अधिवक्ता ने पीठासीन पदाधिकारी द्वारा एक मामले में जारी आदेश की प्रतिलिपि भी संलग्न की है। बार के कतिपय अधिवक्ता केंद्रीय भविष्य निधि पैनल के भी अधिवक्ता होते हैं। भविष्य निधि की ओर से बिना अधिवक्ता की मौजूदगी में विवादों का कल जो निपटारा किया गया या जो सुनवाई की गई उसे पीठासीन पदाधिकारी के आचरण पर गंभीर सवाल पैदा करता है। अधिवक्ता दीपक शाह का कहना है कि डा ठाकुर कुछ मामलों में निजी दिलचस्पी लेकर उनका आनन फानन में निपटारा करते हैं, जबकि कई मामले जो कोविड 19 के पहले से लंबित हैं उनको जनवरी 2024 तक डेट देकर लंबित रखे हैं। कल जिस मामले में उन्होंने सुनवाई की वह इसी साल कोर्ट में दर्ज किया गया था,जबकिवर्ष 2020, वर्ष 2021 के मामले उन्होंने अभी तक लंबित रखे है। धनबाद बार एसोसिएशन के महासचिव ने मुख्य न्यायाधीश को पीठासीन पदाधिकारी पर उचित कार्रवाई करने की मांग की है।

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