टाटानगर रेलवे स्टेशन – भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मोहित होटल जमींदोज

जमशेदपुर रेलवे विभाग में स्टेशन के चर्चित होटल मोहित को तोड़ा

जमशेदपुर 23 सितंबर संवाददाता: रेलवे विभाग के द्वारा आज सुबह स्टेशन रोड में स्थित चर्चित होटल मोहित को तोड़ दिया गया। एसडीओ मजूमदार रेलवे विभाग के एईएन, इंजीनियर विभाग के अधिकारी आरपीएफ के थाना प्रभारी और बागबक थाना की पुलिस ने बुलडोजर लगाकर होटल को तोड़ डाला होटल मालिक मोहित का कहना है कि रेलवे विभाग के द्वारा किसी तरह की नोटिस नहीं दी गई थी उनके द्वारा समय भी मांगा गया परंतु समय नहीं दिया गया रेलवे विभाग के द्वारा सामान हटाने के लिए मजदूर साथ लेकर के आए थे जो सामान निकाल सके वह निकल गया पंखा समेत आदि सामान हो तो नहीं रह गए जनरेटर भी होटल में पड़ा हुआ है उनका कहना था कि अपनी फरियाद लेकर संसद विद्युत महतो के पास भी गए थे। उन्होंने कहा कि हमने डीआरएम को कह दिया है कार्रवाई नहीं होगी वह दुर्गा पूजा तक का समय मांग रहे थे परंतु रेलवे विभाग में एक भी नहीं सुनी और होटल को तोड़ दिया संयुक्त परिवार है चार भाई मिलकर होटल चला रहे थे उनके समक्ष जीवन यापन करने के लिए समस्या खड़ी हो गई है होटल उनके पिता दिवाकर सिंह के नाम से था हाई कोर्ट में मामला चल रहा था हाई कोर्ट से मुकदमा हार गए हैं भाइयों का कहना ताकि फिर से हाई कोर्ट में अपील की थी परंतु रेलवे विभाग द्वारा समय नहीं दिया गया मालूम हो कि विगत दिनों रेलवे विभाग के द्वारा चर्चित सिंह होटल समेत इलाके में जितने भी अवैध कारोबार अतिक्रमण स्थल पर बने थे सभी को हटा दिया गया रेलवे विभाग के द्वारा उक्त क्षेत्र में विकास करने की योजना है जिसके तहत यह कार्रवाई की गई है। जबकि रेलवे विभाग के द्वारा शुक्रवार को नोटिस और अनाउंसमेंट कर सूचना दी गई थी

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अतिक्रमणकारियों में हड़कंप
मोहित होटल को जमींदोज किए जाने के बाद स्टेशन और इसके आस-पास रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण कर सालों से रहने वाले लोगों में हड़कंप मच गई है. अब उन्हें लग रहा है कि उनका आशियाना अब बचने वाला नहीं है. मोहित होटल ठीक स्टेशन के मेन रोड पर ही अवस्थित था.
टाटानगर रेलवे स्टेशन का री-डेवलपमेंट करने का आदेश रेलवे बोर्ड से ही दे दिया गया है. इसकी आधारशिला भी रखी जा चुकी है, लेकिन इसमें सबसे बड़ा बाधक अवैध कब्जा ही है. यही रेलवे के लिए सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है. रेलवे की जमीन से अवैध कब्जा हटा पाना जिला प्रशासन और रेल प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा. इसको लेकर फिर से राजनीति शुरू हो जाएगी. राजनीति भी वही करते हैं जो नेता अवैध रूप से रेलवे की जमीन पर कब्जा कर आलीशान मकान बनाए हुए हैं.
रेलवे की ओर से 1998 में टाटानगर स्टेशन के बाहर और रेलवे ट्रॉफिक कॉलोनी से लेकर कीताडीह तक रेलवे की जमीन पर बने अवैध मकानों को जमींदोज किया गया था. आज वहां पर फिर से अवैध कब्जा हो गया है. इसके लिए रेल प्रशासन और आरपीएफ मुख्य रूप से जिम्मेवार है.

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