टाटा स्टील लीज नवीकरण पर समझौते के तहत नहीं उपलब्ध कराती जनसुविधाएं , विधायक सरयू राय भूमि सुधार व राजस्व सचिव से मिले

Ranchi : जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने सोमवार को झारखंड सरकार के भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के सचिव चंद्रशेखर के साथ उनके कार्यालय कक्ष में टाटा लीज समझौता नवीकरण के संबंध में सविस्तार चर्चा की. श्री राय ने उन्हें टाटा लीज समझौता 1985 और टाटा लीज नवीकरण समझौता 2005 के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया और अनुरोध किया कि 31 दिसंबर 2025 को लीज समझौता समाप्त होने के पूर्व इस बारे में ठोस निर्णय हो जाना चाहिए. राजस्व सचिव चंद्रशेखर के अनुसार, इस बारे में एक समिति गठित हुई है जो सरकार के वस्तुस्थिति से अवगत कराएगी.
गौरतलब है कि टिस्को लिमिटेड के साथ बिहार सरकार ने अगस्त 1985 में 30 वर्ष के लिए पहला लीज समझौता किया था, जो भूतलक्षी प्रभाव से 1956 से लागू माना गया. यह समझौता 31 दिसंबर 1995 को समाप्त हुआ. इसके पूर्व अगस्त 1995 में टिस्को लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक जेजे ईरानी ने राज्य सरकार को पत्र लिख कर लीज नवीनीकरण की प्रक्रिया आरम्भ करने का अनुरोध किया था. कतिपय अपरिहार्य कारणों से लीज नवीकरण समझौता समय पर नहीं हो सका. इस बीच झारखंड अलग राज्य बन गया। लीज समझौता नवीनीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई पर तत्कालीन राजस्व मंत्री स्वर्गीय मधु सिंह द्वारा संचिका में लीज समझौता उलंघन और टाटा स्टील लिमिटेड पर भारी बकाया राशि का उल्लेख संचिका में कर दिए जाने के कारण लीज नवीनीकरण में विलंब हुआ. अंततः अगस्त 2005 में 30 वर्ष के लिए टाटा लीज नवीकरण समझौता हुआ जो भूतलक्षी प्रभाव से 1 जनवरी 1996 से लागू माना गया. यह समझौता 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है. (नीचे भी पढ़ें)

श्री राय ने बताया कि राजस्व सचिव के साथ हुई वार्ता में टाटा लीज समझौता की इस पृष्ठभूमि पर भी चर्चा हुई. उन्होंने सचिव को समझौते में व्याप्त कतिपय त्रुटियों के बारे में अवगत कराया. एक तो समझौता में जनसुविधाएं उपलब्ध कराने के बारे में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है, जिसके तहत कोई उपभोक्ता जनसुविधाओं में कमी होने या दिक्कत होने पर कहां पर शिकायत करेगा. इसके अतिरिक्त समझौता की कंडिका असंवैधानिक है और भूमि सुधार अधिनियम के प्रावधान के विरोध में है.
श्री राय के अनुसार, जब बिहार भूमि सुधार अधिनियम में विधानसभा ने संशोधन कर ख़ाली भूमि और सबलीज के बारे में स्पष्ट प्रावधान कर दिया. अधिनियम की धारा 7 में संशोधन कर 7डी और 7ई जोड़ दिया, तब समझौता के स्तर पर एप्रोप्रिएट मशीनरी कमिटी बनाकर खाली भूमि को सबलीज पर देने का अधिकार टाटा स्टील लिमिटेड को देना कानूनन सही नहीं है. सरयू राय ने बताया कि उन्होंने राजस्व सचिव को लीज समझौता में दर्जनों जनसुविधाएं टाटा स्टील द्वारा मुहैया कराने और अपने खर्च पर उपलब्ध कराने के प्रावधान का घोर उल्लंघन करने के बारे में भी बताया. पानी, बिजली जैसी जनसुविधाएं मुहैया कराने में भारी भरकम बिल देने और जमशेदपुर में साफ-सफाई व्यवस्था केवल टाटा लीज क्षेत्र तक ही सीमित रखने की बात से भी सचिव को अवगत कराया और कहा कि समझौता के मुताबिक़ टाटा स्टील को पूरे जमशेदपुर में अपने खर्च पर जनसुविधाएं उपलब्ध करानी है. उन्होंने ताजा उदाहरण दिया कि साकची के डीएम लाईब्रेरी में बिजली का कनेक्शन देने के लिए इन्होंने 40 लाख रूपये का बिल दिया है. बस्तियों में पेयजल का कनेक्शन देने के लिए बस्तीवासियों को 21 हजार का बिल थमाया जा रहा है. समझौते में शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीकी शिक्षा, पशु चिकित्सा सहित दर्जनों जनसुविधाएं देने की बात टाटा स्टील ने स्वीकारी पर ये सुविधाएं नदारद हैं. श्री राय ने सचिव से कहा कि अबकी बार लीज समझौता हो तो इस बारे में प्रावधान स्पष्ट किए जाएं और एक शिकायत निपटारा कोषांग बनाया जाए जहां तक आम आदमी की पहुंच हो सके.
श्री राय ने सचिव को सुझाव दिया कि वे टाटा लीज समझौता के उल्लंघनों की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करें. यह समिति 1985 से 2005 और 2005 से अब तक समझौता उलंघन के विभिन्न पहलुओं पर सांगोपांग विचार करे और प्रासंगिक संचिकाओं में अंकित टिप्पणियों एवं पत्राचारों की राज्यहित में समीक्षा करें. यह समिति लीज समझौता के बारे में लाभुकों/उपभोक्ताओं का सुझाव भी आमंत्रित करें. पूर्वी सिंहभूम जिला में उपायुक्त पद पर नियुक्त किए गए झारखंड सरकार के सेवारत अधिकारियों का सुझाव भी इस संदर्भ में लिया जाना चाहिए. यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि टाटा लीज समझौता बिहार भूमि सुधार अधिनियम की धारा 7ई और 7डी एवं अन्य सुसंगत धाराओं के विधिसम्मत प्रावधानों के अधीन जनहित में समय पर हो जाए इसके लिए विशेष प्रयास करने की जरूरत है.

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