नई दिल्ली: टाटा मोटर्स ने सिंगुर-नैनो प्रोजेक्ट केस में पश्चिम बंगाल सरकार से मुआवजे का केस जीत लिया है. टाटा मोटर्स लिमिटेड ने कहा कि एक मध्यस्थता पैनल ने सिंगुर-नैनो प्रोजेक्ट केस में पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (WBIDC.) से ब्याज समेत 766 करोड़ रुपये की वसूली के लिए उसके पक्ष में फैसला सुनाया है.
टाटा कंपनी ने पश्चिम बंगाल के सिंगुर में ऑटोमोबाइल विनिर्माण सुविधा के संबंध में पूंजी निवेश के नुकसान के कारण WBIDC से मुआवजे का दावा किया था. WBIDC पश्चिम बंगाल के उद्योग, वाणिज्य और उद्यम विभाग की प्रमुख नोडल एजेंसी है.
कार निर्माता कंपनी ने सोमवार को एक एक्सचेंज फाइलिंग में ये जानकारी दी है. जानकारी के मुताबिक, तीन सदस्यीय आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल ने टाटा मोटर्स के पक्ष में सर्वसम्मति से फैसला सुनाया. इसके तहत कंपनी को 765.8 करोड़ रुपये की वसूली का हकदार माना गया. इसमें 1 सितंबर 2016 से WBIDC से वास्तविक वसूली तक 11% प्रति वर्ष की दर से ब्याज शामिल है.
कंपनी को इसके साथ ही कार्यवाही की लागत के लिए 1 करोड़ रुपये भी वसूल करेगी. बयान में कहा गया है कि फैसले के बाद आर्बिट्रल प्रोसिडिंग्स यानी मध्यस्थता की कार्यवाही खत्म हो गई है.
पश्चिम बंगाल में वामपंथी मोर्चा सरकार ने 2006 में ऐलान किया था कि टाटा अपनी किफायती रेंज के ‘नैनो’ मॉडल को पेश करने के लिए सिंगुर में कार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बनाएगी, जिसके लिए करीब 1000 एकड़ जमीन अलॉट किया जाएगा.
टाटा मोटर्स को सिंगुर की वह ज़मीन खाली करने के लिए मजबूर किया गया, जो कंपनी ने छोटी कार के उत्पादन के लिए पट्टे पर ली थी. बंगाल विधानसभा में उस समय विपक्ष में रही तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के कड़े विरोध के कारण कार निर्माता को अपनी उत्पादन सुविधा गुजरात के साणंद में शिफ्ट करनी पड़ी.