अमेरिका सेना के अफगानिस्तान से वापसी के बाद भारत और तालिबान के बीच पहली औपचारिक बातचीत हुई है। दोहा में ये औपचारिक बातचीत हुई है। इससे पहले भी तालिबान का शासन 1996 में अफगानिस्तान में था लेकिन उस वक्त भारत की तरफ से इसे कोई तवज्यों नहीं दी गई थी। पहली बार अपने नागरिकों की वापसी और भारत की चिंताओं से अवगत कराने के लिए तालिबान के प्रमुख नेता से दोहा में बातचीत हुई है। कतर में भारतीय राजदूत ने भारत की तरफ से ये वार्ता की है। तालबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास के साथ ये मुलाकात हुई है।
इन मुद्दों पर हुई बात
अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों की वापसी को लेकर और उनकी सुरक्षा के मुद्दे पर तालिबान से बातचीत हुई है। अफगान नागरिकों, विशेषकर अल्पसंख्यक, जो भारत की यात्रा करना चाहते हैं, की यात्रा को लेकर भी बातचीत हुई। भारत ने साफ-साफ कहा है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ होने वाली गतिविधियों के लिए न हो। तालिबान के प्रतिनिधि शेर मोहम्मद अब्बास ने भारतीय राजदूत को आश्वस्त किया कि भारत की सभी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा।
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर दी जानकारी
विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘आज कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की।’’ इसमें कहा गया है कि भारतीय राजदूत और तालिबान नेता के बीच बैठक दोहा स्थित भारतीय दूतावास में तालिबान के अनुरोध पर हुई। मंत्रालय ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और शीघ्र वापसी पर चर्चा हुई। अफगान नागरिकों, विशेष रूप से अल्पसंख्यक, जो भारत आना चाहते हैं, पर भी चर्चा हुई। उसने कहा, ‘‘राजदूत मित्तल ने भारत की उन चिंताओं को उठाया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए।