बंगाल हिंसा में सुप्रीम कोर्ट का दखल:केंद्र, बंगाल सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस; हिंदुओं पर हमले से जुड़े मामलों पर देना होगा जवाब

बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ सुप्रीम कोर्ट, ममता सरकार की बढ़ सकती हैं मुश्किलें


नई दिल्ली
बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा में अब सुप्रीम कोर्ट ने भी दखल दिया है। कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार, बंगाल सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है। ये नोटिस हिंदुओं पर हमले से जुड़ी दो याचिकाओं पर भेजे गए हैं। याचिकाओं में चुनाव बाद हिंसा की वजहों और कारण तलाशने के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की जांच की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है जिसमें केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल (President Rule West Bengal) में दो मई से चुनाव के बाद बिगड़ती कानून-व्यवस्था के मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में केंद्र को राज्य में हालात सामान्य बनाने में प्रशासनिक अधिकारियों की मदद और किसी गड़बड़ी से उनकी रक्षा के लिए सशस्त्र, अर्द्धसैन्य बलों की तैनाती के लिए निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है।

कोर्ट ने केंद्र, राज्य और EC को भेजा नोटिस
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने याचिका पर केंद्र, पश्चिम बंगाल और निवार्चन आयोग को नोटिस जारी किए। इस याचिका में राज्य में चुनाव के बाद हिंसा के पीड़ितों और उनके परिवार के सदस्यों को हुए नुकसान का पता लगाकर उन्हें मुआवजा देने के लिए निर्देश देने की भी गुहार लगाई गई है। पीठ ने कहा, ‘हम प्रतिवादी नंबर एक (भारत सरकार), प्रतिवादी नंबर-दो (पश्चिम बंगाल सरकार) और प्रतिवादी नंबर तीन (निर्वाचन आयोग) को नोटिस जारी कर रहे हैं।’ हालांकि पीठ ने प्रतिवादी नंबर-चार तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पार्टी अध्यक्ष के तौर पर ममता बनर्जी को नोटिस जारी नहीं किया।
याचिका हिंदुओं पर अत्याचार की बात
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया है कि असाधारण परिस्थितियों में जनहित याचिका दाखिल की गयी है क्योंकि पश्चिम बंगाल के हजारों नागरिकों को विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थन करने के लिए टीएमसी के कार्यकर्ता उन्हें धमका रहे, प्रताड़ित कर रहे। याचिका के अनुसार, ‘याचिकाकर्ता पश्चिम बंगाल के उन हजारों नागरिकों के हितों की वकालत कर रहे हैं जो ज्यादातर हिंदू हैं और भाजपा का समर्थन करने के लिए मुसलमानों द्वारा उन्हें निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे हिंदुओं को कुचलना चाहते हैं ताकि आने वाले वर्षों में सत्ता उनकी पसंद की पार्टी के पास बनी रहे।’
इन 2 याचिकाओं पर भेजा नोटिस
पहली याचिका: इसमें कहा गया है कि चुनावों के बाद बंगाल के हजारों हिंदुओं को भाजपा का समर्थन करने की वजह से मुस्लिमों ने निशाना बनाया। रिपोर्ट के मुताबिक, इस याचिका में कहा गया है कि इस हमले की वजह हिंदुओं को कुचलना था ताकि आने वाले सालों में भी बंगाल में दूसरे वर्ग की पसंद वाली सरकार बने।
दूसरी याचिका: इसमें कहा गया है कि चुनावों के बाद तृणमूल कार्यकर्ताओं ने अराजकता, अस्थिरता पैदा कर दी। इन्होंने हिंदुओं के घरों को जला दिया और लूटपाट की। इसके पीछे सामान्य सी वजह थी कि इन लोगों ने भाजपा का समर्थन किया था।

जांच करने गई मानवाधिकार टीम पर हमला हुआ था
चुनाव के बाद हिंसा के मामलों की जांच के लिए 29 जून को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की टीम बंगाल पहुंची थी। जांच टीम के सदस्य आतिफ रशीद ने बताया कि जांच के दौरान यह पाया गया कि यहां 40 से ज्यादा घरों को नुकसान हुआ है। इसी दौरान हम पर गुंडों ने हमला कर दिया। पुलिस पर भी हमला किया। हमें भगाने की कोशिश की। ये हमारा हाल है, तो आम आदमी का क्या होगा। हमने लोकल पुलिस को अपने आने की जानकारी दी थी, लेकिन पुलिस नहीं आई। ये बहुत अफसोस की बात है।

भाजपा का आरोप- हमारे 1298 वर्कर्स पर हमला हुआ
29 जून को ही भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा में हमारे 1298 कार्यकर्ताओं पर हमला हुआ है। 1399 प्रॉपर्टी को उजाड़ा गया। 108 परिवारों को धमकाया गया। 2,067 शिकायतें हमने चुनाव आयोग में दर्ज कराईं। पुलिस के पास भी हिंसा से जुड़ी 5,650 शिकायतें दर्ज कराई गई हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, बंगाल में 2 मई यानी चुनावी नतीजों के बाद कई जगहों पर हिंसा हुई। तृणमूल और भाजपा वर्कर्स के बीच झड़पें हुईं। इस दौरान करीब 16 लोग मारे गए। इस हिंसा की वजह से बंगाल में पलायन भी शुरू हुआ।

Share this News...