सुप्रीम कोर्ट का निर्देश – बिजली, पानी और सीवर जैसी मूलभूत सुविधाएं देने से पहले सेवा प्रदाता कंपनियां सुनिश्चित करें कि इमारत के पास प्रमाण पत्र हो

अब घर गिरवी रख लोन भी मुश्किल! अवैध निर्माणों पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी नजर; क्या दिए नए आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माणों पर सख्ती दिखाते हुए नए आदेश जारी किए हैं, जिनसे देशभर में अवैध इमारतों और उनके संचालन पर प्रभाव पड़ेगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी भी इमारत को गिरवी रखकर बैंक और वित्तीय संस्थान लोन तभी स्वीकृत करेंगे, जब उस इमारत के लिए पूरा या उपयोग प्रमाण पत्र (Completion or Occupation Certificate) मौजूद हो। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि बिजली, पानी और सीवर जैसी मूलभूत सुविधाएं देने से पहले सेवा प्रदाता कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि इमारत के पास प्रमाण पत्र हो। बिना वैध प्रमाण पत्र के किसी भी इमारत को व्यवसाय या व्यापार के लिए लाइसेंस नहीं दिया जाएगा, चाहे वह आवासीय हो या कमर्शियल।
बिल्डरों के लिए सख्त शर्तें

अब बिल्डरों को एक लिखित आश्वासन देना होगा कि इमारत का कब्जा केवल तभी खरीदारों को सौंपा जाएगा, जब संबंधित प्राधिकरण से पूरा या उपयोग प्रमाण पत्र प्राप्त हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि अवैध निर्माण न केवल रहने वालों की जान को खतरे में डालते हैं, बल्कि संसाधनों जैसे बिजली, भूजल और सड़क तक पहुंच को भी प्रभावित करते हैं।
अधिकारियों की भी जवाबदेही तय

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अवैध रूप से प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। ऐसे अधिकारी, जो अपनी जिम्मेदारी निभाने में चूक करते हैं, उन्हें कानूनी प्रक्रिया का सामना करना होगा। कोर्ट ने 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा मेरठ में अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण पर रोक लगाने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है और किसी भी प्रकार की नरमी दिखाना गलत होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना मंजूरी या स्वीकृत योजना के किए गए निर्माण को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। हर निर्माण को सख्ती से नियमों का पालन करना होगा। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के एक महीने बाद आया है, जिसमें ‘बुलडोजर न्याय’ को असंवैधानिक घोषित किया गया था और प्रशासन को किसी भी अवैध निर्माण को सिर्फ अपराध के आरोप में ध्वस्त करने से रोक दिया गया था।

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