पुलिस एवं न्यायिक प्रक्रिया से अनजान है मामा कुलदीप
जमशेदपुर। लौहनगरी के 28 वर्षीय सिख युवक तरनजीत सिंह उर्फ सम्मी की फिलीपींस की राजधानी मनीला में हत्या का कारण क्या व्यापारिक प्रतिद्वंदिता है?
यह सवाल तरनजीत की मां एवं सगे संबंधियों के दिमाग में कौंध रहा है। लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि उनके मौत का कारण क्या हो सकता है। क्योंकि सन्नी व्यवहार कुशल था और उसने वहां अपने मित्र ही बनाए थे और कभी भी किसी के साथ कहासुनी नहीं हुई। इसकी पुष्टि मनीला में रहने वाले मामा कुलदीप सिंह भी करते हैं। अपने कर्मचारियों के साथ भी उसका परिवार की तरह व्यवहार था और समय पर उन्हें वह वेतन का भुगतान कर रहा था। माइक्रो फाइनेंस को लेकर भी कभी किसी ग्राहक से कहासुनी नहीं हुई।
तकरीबन चार साल पहले तरनजीत सिंह बिजनेस करने एवं खुद को साबित करने के इरादे से फिलीपींस की राजधानी मनीला गया था।
वहां उसने ताईताई में मनीला ई रोड वाले भीड़-भाड़ इलाके में “साईं इंडियन ग्रोसर”नाम से एक दुकान खोली। जहां में माइक्रो फाइनेंस के तहत वह बिजली के उपकरण बेचने लगा। व्यवहार से बिजनेस जमाया और देखते ही देखते चार साल में उसने छह दुकानें खड़ी कर ली। वहां स्थानीय छह युवाओं को रोजगार दे रखा था और कलेक्टर (मैनेजर)के रूप में 50 वर्षीय महिला महिला को रखा था, जो पूरा बिजनेस देख रही थी।
रविवार को दोपहर में वह भोजन कर रहा था और माईला काउंटर पर थी। तभी सनी ने देखा कि दो युवक आए । दोनों के हाथ में पिस्तौल है। एक युवक गेट पर खड़ा है और दूसरा युवक अंदर आया और डीपफ्रिज में आइसक्रीम देखने लगा। माईला उससे पूछने लगी तो उसने पिस्तौल तान दिया और स्थानीय भाषा में उसने कुछ कहा।
स्थिति भांप बचाव के इरादे से पीछे के दरवाजे से सन्नी गली होते हुए पार्किंग और मेन रोड की ओर भागा। उसे भागते देख जो गेट के सामने खड़ा था वह गली की तरफ बढ़ा । सन्नी पार्किंग के पास पहुंचा ही था तो दूसरा युवक सामने आ गया और फायर झोंक दिया। सन्नी को दो गोली सीने, एक बाई आंख और एक गोली दाएं बाजू में लगी। वह गिर गया तो कलक्टर माईलो एवं अन्य स्टाफ उसे मनीला अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। स्टाफ से ही कुलदीप को घटना की जानकारी मिली और वह अस्पताल पहुंचा। पोस्टमार्टम करने के बाद शव को उसके मामा कुलदीप के सुपुर्द कर दिया गया है जो साथ में रहते हैं परंतु 15 किलोमीटर दूर तनाईकिया में उनका अपना बिजली उपकरण का दुकान है।
इधर कुलदीप सिंह की समझ में नहीं आ रहा है कि वह किस तरह से पुलिस की कार्रवाई करें 24 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस ने किसी प्रकार की ओर से पूछताछ नहीं की है और वह वहां की पुलिसिया एवं न्यायिक प्रक्रिया से पूरी तरह अनजान है। वहां वहां सदमे में हैं और डर से बाहर भी नहीं निकल रहा है।
कुलदीप सिंह के अनुसार वहां में दो दिन तक घर में शव को रखने की परंपरा है। सोमवार को स्थानीय परंपरा के अनुसार शरीर में रसायन का लेप कर दिया गया है जिससे तीन दिन तक बॉडी डीकंपोज नहीं होगा और बदबू भी नहीं आएगी।
वहां की परंपरा के अनुसार शव को पेटी में रखा गया है और सफेद फूल लोगों ने अर्पित किए हैं। कुलदीप के अनुसार बुधवार को ही अंतिम संस्कार स्थानीय समय के अनुसार दोपहर एक बजे बाद होगा।
इधर मामा गुरदीप सिंह पप्पू भी शोकाकुल है और राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार से संपर्क साध रहे हैं कि इस मामले में आगे पुलिस एवं न्यायिक प्रक्रिया दूतावास के माध्यम से हो सके।