श्रीलंका में राष्ट्रपति भवन छोड़कर भागे गोटबाया राजपक्षे:प्रेसिडेंट हाउस पर जनता का कब्जा

colambo 9 july शनिवार को महीनों से जारी आर्थिक संकट से परेशान प्रदर्शनकारियों ने श्रीलंका में राष्ट्रपति आवास घेर लिया, जिसके बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे आवास छोड़कर भाग खड़े हुए।
इससे पहले मई में जब उग्र भीड़ ने राजपक्षे के छोटे भाई और पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के कोलंबो स्थित सरकारी आवास को घेर लिया था, तो महिंदा ने परिवार समेत भागकर नेवल बेस में शरण ली थी।
श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ लंबे वक्त से ‘Gota Go Gama’ और ‘Gota Go Home’ आंदोलन जारी है।
सिंहली भाषा में गामा का मतलब गांव होता है। प्रदर्शनकारी एक जगह जमा होकर तंबू लगाते हैं और गाड़ियों के हार्न बजाते हुए राष्ट्रपति और सरकार के खिलाफ गोटा-गो-गामा का नारा बुलंद करते हैं। इनका मकसद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर करना था।
1. श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट के 16 सांसदों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से तुरंत इस्तीफा देने की अपील की।
2. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए हवाई फायर किए।
3. श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने स्पीकर से संसद बुलाने का अनुरोध।
4. श्रीलंका पुलिस ने देश में बिगड़ते हालात के बीच कई प्रातों में कर्फ्यू लगाया।
श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के सरकारी आवास पर कब्जा कर लिया है।

राष्ट्रपति से मिला श्रीलंका का बार काउंसिल
देश में बढ़ते अराजक माहौल के बीच बार काउंसिल ऑफ श्रीलंका ने राष्ट्रपति गोटबाया से मुलाकात की है। काउंसिल ने राष्ट्रपति से पूछा है कि अब जब उनके सचिवालय और घर पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा हो गया है तो क्या ऐसे में वो अपनी ड्यूटी निभा पाएंगे?
श्रीलंका को डुबोने वाले ताकतवर राजपक्षे परिवार को जानिए
अप्रैल तक श्रीलंका में सरकार में राजपक्षे परिवार के पांच लोग शामिल थे। इनमें राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे, सिंचाई मंत्री चामल राजपक्षे और खेल मंत्री नामल राजपक्षे थे। इनमें से गोटबाया को छोड़कर बाकी सब इस्तीफा दे चुके हैं।
एक समय श्रीलंका के नेशनल बजट के 70% पर इन राजपक्षे भाइयों का सीधा कंट्रोल था। राजपक्षे परिवार पर 5.31 अरब डॉलर यानी 42 हजार करोड़ रुपए अवैध तरीके से देश से बाहर ले जाने का आरोप है। इसमें महिंदा राजपक्षे के करीबी अजित निवार्ड कबराल ने अहम भूमिका निभाई थी, जो सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के गवर्नर थे।
1. महिंदा राजपक्षे
76 साल के महिंदा राजपक्षे समूह के चीफ और कुछ महीनों पहले तक प्रधानमंत्री थे। उन्होंने बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच 10 मई को इस्तीफा दे दिया था।
वह 2004 में प्रधानमंत्री रहने के बाद 2005-2015 तक राष्ट्रपति रहे थे। इसी दौरान भाई गोटबाया राजपक्षे को तमिलों के आंदोलन को कुचलने का आदेश दिया था।
महिंदा के शासनकाल में श्रीलंका और चीन की करीबी बढ़ी और उसने चीन से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए 7 अरब डॉलर का लोन लिया।
खास बात ये रही कि ज्यादातर प्रोजेक्ट्स छलावा साबित हुए और उनके नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हुआ।
राजपक्षे परिवार में सबसे ताकतवर महिंदा राजपक्षे हैं, इसलिए उन्हें ‘द चीफ’ कहा जाता है। वह श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

2. गोटबाया राजपक्षे

पूर्व सैन्य अधिकारी रहे गोटबाया 2019 में श्रीलंका के राष्ट्रपति बने। वह रक्षा मंत्रालय में सेक्रेटरी समेत कई अहम पद संभाल चुके हैं।
2005-2015 के दौरान बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहने के दौरान डिफेंस सेक्रेटरी रहते हुए तमिलों अलगाववादियों यानी LTTE को क्रूरता से कुचल दिया था।
गोटबाया की टैक्स में कटौती से लेकर, खेती में केमिकल फर्टिलाइजर के इस्तेमाल पर बैन जैसी नीतियों को वर्तमान संकट की वजह माना जा रहा है।

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