नई दिल्ली : कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण की रफ्तार की रोकथाम के लिए राज्यों में लगाए गए छोटे-छोटे लॉकडाउनों से देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है. आलम यह है कि राज्यों में लगाई गई पाबंदियों की वजह से वर्ष 2021 की जनवरी-मार्च की तिमाही के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में केवल 1.6 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
सरकार की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में जीडीपी 38.96 लाख करोड़ रुपये की रही, जो वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही के दौरान 38.33 लाख करोड़ रुपये थी. इस हिसाब से मार्च की तिमाही में जीडीपी में 1.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, कोरोना महामारी की वजह से पिछले 40 वर्षों के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे खराब प्रदर्शन रहा. मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार को रोकने के लिए सरकार की ओर से लागू लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों पर विपरीत असर पड़ा है. इससे राजस्व संग्रह पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है.
एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 में जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी. आंकड़ों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में 2020-21 के दौरान 7.3 फीसदी संकुचन हुआ, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 4 फीसदी की दर से बढ़ी थी.
एनएसओ ने इस साल जनवरी में जारी अपने पहले अग्रिम अनुमानों के आधार पर कहा था कि 2020-21 के दौरान जीडीपी में 7.7 फीसदी गिरावट दर्ज की जाएगी. हालांकि, यह बात दीगर है कि पड़ोसी देश चीन ने जनवरी-मार्च 2021 में 18.3 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर्ज की है.