नई दिल्ली
दिल्ली, यूपी समेत कई राज्यों में सितंबर के महीने में सामान्य से अधिक बारिश हो रही है। बदले हुए मौसम का असर क्या आगे भी दिखेगा। सितंबर के अंत तक उत्तर भारत में बारिश में कमी आने के संकेत नहीं दिख रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून, उत्तर-पश्चिम भारत से तभी वापस होता है जब लगातार पांच दिनों तक इलाके में बारिश नहीं होती है। वहीं एक सवाल यह भी पैदा हो गया है कि क्या ऐसा होने से इस बार जाड़े का मौसम देर से शुरू होगा।
मॉनसून के देरी से जाने का क्या होगा असर
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, अगले दस दिनों तक उत्तर भारत से मॉनसून की वापसी के संकेत नहीं दिख रहे हैं। आईएमडी ने पिछले वर्ष भी उत्तर पश्चिम भारत से मॉनसून की वापसी की तारीख संशोधित की थी। पिछले कुछ वर्षों से मॉनसून की वापसी में देरी होने के चलते ऐसा किया गया था।
दक्षिण पश्चिम मॉनसून पहले राजस्थान से वापस होना शुरू होता है। बदले डेट के अनुसार यह 17 सितंबर से जैसलमेर से वापस होना शुरू होता है। दक्षिण पश्चिम मॉनसून ने 2017, 2018, 2019 और 2020 में देरी से वापसी शुरू की। मॉनसून के विलंब से वापस जाने का मतलब होता है कि ठंड भी देर से पड़ती है। आधिकारिक रूप से दक्षिण पश्चिम मॉनसून एक जून से शुरू होता है और 30 सितंबर तक रहता है।
1964 के बाद ऐसा पहली बार
दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में पिछले कई दिनों से बारिश का सिलसिला जारी है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल बेहतर मॉनसून के कारण दिल्ली में गुरुवार 1159.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जो 1964 के बाद से सबसे अधिक और अब तक की तीसरी सर्वाधिक बारिश है। साथ ही दिल्ली में सितंबर में हुई बारिश ने 400 मिमी के निशान को पार कर लिया है।
आईएमडी के पूर्व महानिदेशक अजीत त्यागी का कहना है कि पिछले 30 वर्षों को देखने से पता चला है कि भारी बारिश की घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। कोई भी दो मॉनसून समान नहीं होते हैं। यदि आप अतीत में 50 साल तक जाते हैं, तो सूखे के वर्ष और बाढ़ के वर्ष हुआ करते थे। क्लाइमेट चेंज किसी भी वेदर सिस्टम की के नेचुरल चेंज पर स्थान, समय और तीव्रता के लिहाज से दबाव को चिह्नित कर रहा है। हालांकि, सिर्फ कुछ घटनाओं को पूरी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।