Jamshedpur,6 May: दलमा वन्य जीव आश्रयणी में प्रस्तावित 8 मई के सेंदरा को रोकने और वन्य जीवों की रक्षा करने के लिये वन विभाग आवश्यक उपाय करने के साथ-साथ ग्रामीणों को जागरुक करने की योजना पर सतत प्रयत्नशील है. दलमा के डीएफओ डा. अभिषेक कुमार ने आज एक मुलाकात में बताया कि ग्रामीण भलीभांति समझते हैं कि वन्य जीवों की प्रकृति संतुलन और आम आदमी के जीवन में क्या भूमिका है. फिर भी परंपरा के नाम पर वे सेंदरा पर्व मनाकर बहुत बड़ा नुकसान कर बैठते हैं. पिछले दो वर्षों से कोरोना के कारण स्वाभाविक रुप से सेंदरा में नियंत्रण आया और इस साल वन विभाग लगातार ग्रामीण और समितियों से वार्ता कर उन्हें जागरुक बना रहा है. उन्होंने दलमा आश्रयणी के विकास के लिये किये जा रहे कार्यों की भी चर्चा की. दलमा को झारखंड का सुंदर पर्यटन स्थल विकसित करने के लिये कई काम किये गये हैं. उन्होंने बताया कि दलमा परिक्षेत्र के मायने में बेहतर सजग और प्रकृति प्रेमी है. इस मौके पर रेंज ऑफिसर दिनेश चंद्रा भी उपस्थित थे और उन्होंने डियर पार्क, संग्रहालय तथा ग्रामीण समितियों की उत्पादों की बिक्री की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी.
दूसरी ओर वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) विश्वनाथ शाह ने सेंदरा को लेकर आज मानगो स्थित वन चेतना भवन में दलमा के पूर्वी क्षेत्र इको विकास समिति के पदाधिकारी और सदस्यों के साथ बैठक की.
इसमें जंगली जानवरों का शिकार रोकने की सलाह दी गई. जाल-फांस पकडऩे व शिकारियों पर नजर पड़ते ही वन विभाग के अधिकारियों को सूचित करने का अनुरोध किया गया. दलमा के ग्रामीणों का कहना है कि वे जंगल और जंगली जानवरों की रक्षा करते हैं और बाहरी लोग साल में एक दिन आते हैं और जानवरों का शिकार करने की कोशिश करते हैं. पहले उन्हें चेतावनी दी जाएगी, बाद उन्हें पकडक़र जेल भेजा जाएगा, ताकि दोबारा वे लोग जंगल में शिकार करने न आ सकें.
बैठक में दलमा के डीएफओ अभिषेक कुमार, पूर्वी क्षेत्र की रेंजर अपर्णा चंद्रा भी मौजूद थीं. गुरुवार को पश्चिमी क्षेत्र के इको विकास समिति के पदाधिकारी और सदस्यों के साथ विभाग ने बैठक की थी। समिति के लोगों से अपील की गई है कि जंगली जानवरों का शिकार रोकने के लिए विभाग का सहयोग करें। टुकडय़िों में बंट कर जंगल में गश्ती की जाए। सेंदरा वीरों को देखने पर उन्हें समझा-बुझा कर वापस भेजा जाए।