जमशेदपुर/ चांडिल। सोमवार को आदिवासी समुदाय द्वारा विशु सेंदरा पर्व मनाया गया। सैकड़ों की संख्या में सेंदरा वीरों ने पारंपरिक हथियारों के साथ दलमा पहाड़ पर चढ़ाई की और परंपरा निर्वहन किया। बताया जा रहा है कि सेंदरा वीरों ने कई जंगली जानवरों का शिकार (सेंदरा) किया है। शाम ढलने के बाद चांडिल के आसनबनी तथा फदलोगोड़ा में जानवरों को उतारा गया। हालांकि, जानवरों के शिकार होने की बात से वन विभाग ने सीधे तौर पर इंकार कर दिया है। दलमा रेंजर दिनेश चंद्रा ने दावा किया है कि एक भी जानवर का शिकार नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि सेंदरा समिति द्वारा केवल परंपरा निर्वहन किया गया। कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा जानवरों का शिकार करने के लिए फांस तथा जाल बिछाया गया था, जिसे जप्त कर लिया गया है। वहीं, एक बंदूक भी जप्त किया गया है। उन्होंने बताया कि लोकल बंदूक से जानवरों का शिकार करने की योजना बनाई गई थी, जिसे वन विभाग ने विफल कर दिया। जिस व्यक्ति के पास से बंदूक बरामद किया गया है, उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। रेंजर ने बताया कि विशु शिकार के लिए जमशेदपुर, चाईबासा, सरायकेला, खूंटी, सारंडा आदि वन प्रमंडल के वन कर्मियों का सहयोग मिला।
इधर, शाम को सेंदरा वीरों ने आसनबनी में बैठक की और वन विभाग के अधिकारियों के प्रति नाराजगी जताई। सेंदरा वीरों ने कहा कि इस साल सेंदरा करने के लिए जाने वाले सेंदरा वीरों का बीच वन विभाग के अधिकारियों द्वारा अवरोध उत्पन्न किया गया। जबकि, हमलोग अपने पूर्वजों के पर्व को मना रहे हैं और परंपरा निर्वहन कर रहे हैं। बताया गया कि इस संबंध में सीएम चंपई सोरेन से शिकायत की जाएगी। हालांकि, इस बैठक में जंगलों में लगाए जाने वाली आग को लेकर चिंता व्यक्त किया गया। बैठक के वक्ताओं ने कहा कि जंगलों में ही सारी जड़ी बूटियां पाई जाती हैं लेकिन आग लगने से वह सारे जड़ी बूटी नष्ट हो रहे हैं। पहाड़ व जंगल को हम आदिवासी समुदाय देवी – देवता के रूप में पूजते हैं, इसलिए उन जंगलों व पहाड़ों में आग लगाने वालों को रोकना होगा।