सुप्रीम कोर्ट का असाधारण आदेश-समय से फीस न दे पाने के चलते एडमिशन से चूके गरीब दलित छात्र की मदद की , 48 घंटे में IIT बॉम्बे में दाखिले का आदेश

न्याय के हित में असाधारण आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक गरीब छात्र की मदद की. जेईई की मेरिट लिस्ट के हिसाब से आईआईटी बॉम्बे में सीट मिलने के बावजूद छात्र को दाखिला नहीं मिल पाया था. अनुसूचित जाति का छात्र प्रिंस समय से प्रवेश शुल्क नहीं जमा कर पाया था. आज कोर्ट ने आदेश दिया कि उसे 48 घंटों के भीतर आईआईटी बॉम्बे में सीट मिले. कोर्ट ने यह भी साफ किया कि प्रिंस को दाखिला देने के लिए किसी और छात्र का नाम लिस्ट से न हटाया जाए.

फीस के कारण IIT बॉम्बे में नहीं मिला दाखिला

प्रतिभाशाली छात्र प्रिंस सिंह जयवीर ने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए थे. मेरिट लिस्ट के हिसाब से उसे आईआईटी बॉम्बे में सीट मिलनी थी. लेकिन प्रवेश फीस का प्रबंध करने में समय लग गया. आखिरी मौके पर उसने किसी रिश्तेदार के क्रेडिट कार्ड से भुगतान का प्रयास किया, लेकिन तकनीकी समस्या के चलते पेमेंट फेल हो गया. इस तरह उसे आईआईटी में दाखिला नहीं मिल पाया.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया दाखिले का आदेश

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच ने इस मामले में ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (JOSAA) से जवाब मांगा था. सोमवार को JOSAA की तरफ से कोर्ट में पेश वकील ने बताया कि आईआईटी बॉम्बे समेत किसी भी आईआईटी में अब सीट उपलब्ध नहीं है. इसलिए प्रिंस को प्रवेश नहीं दिया जा सकता. इस पर जज बेहद नाराज हो गए. उन्होंने कहा, “इस बात को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि एक निर्धन प्रतिभाशाली छात्र को इस तरह से पढ़ने से रोक दिया जाए.”
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने JOSAA के जवाब की आलोचना करते हुए कहा, “यह एक नौकरशाही किस्म का जवाब है. आपको मानवीय रवैया अपनाना चाहिए. क्या पता आज से 10 साल के बाद यह छात्र देश के लिए कोई बड़ी जिम्मेदारी निभाए या नेता बन जाए. हमें लगता है कि आपके यहां जिम्मेदार पद पर बैठे लोग सामाजिक सच्चाई को नहीं जानते. उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि यह एक गरीब परिवार से आने वाला दलित छात्र है. उसके लिए यहां तक पहुंच पाना कितना कठिन रहा होगा?”
कोर्ट ने JOSAA के वकील को आगाह करते हुए कहा, “अगर हम अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को मिली विशेष शक्ति का इस्तेमाल करते हुए दाखिले का आदेश देंगे तो आपको उसे मानना ही होगा. लेकिन हम चाहते हैं कि ऐसा न करना पड़े. आप खुद ही इस छात्र के लिए सही कदम उठाएं.” इसके बाद जजों ने सुनवाई कुछ देर के लिए टाल दी. दोपहर 2 बजे JOSAA के वकील ने एक बार फिर कोर्ट को सूचित किया कि उनके यहां कोई भी सीट उपलब्ध नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए प्रिंस को 48 घंटे के भीतर आईआईटी बॉम्बे में प्रवेश देने के लिए कह दिया. जजों ने आदेश में यह भी लिखवाया कि इस छात्र को प्रवेश देने के लिए किसी और छात्र का नाम लिस्ट से न हटाया जाए.

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