Saryu Roy Bomb : मुख्यमंत्री रघुवर सरकार के कार्यों की उच्च स्तरीय जांच कराएं: टी, शर्ट, टॉफ़ी, सुनिधि चौहान जैसे अनेक मामलों में कई गयी गड़बड़ी

Ranchi,30 March : विधायक एवं पूर्व रघुवर सरकार के मंत्री रहे सरयू राय ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर झारखंड स्थापना दिवस 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा की गई वितीय गड़बड़ियों की ए सी बी अथवा विधान सभा समिति या अन्य बाह्य उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच कराने की मांग की है।

श्री राय ने लिखा है आप अवगत है कि पंचम झारखण्ड विधान सभा के पंचम (बजट) सत्र में 22 मार्च को मेरे द्वारा पूछे गये अल्पूसचित प्रश्न संख्या-85 के उत्तर में सरकार ने स्वीकार किया है कि राज्य स्थापना दिवस-2016 के अवसर पर स्कूली बच्चों के बीच प्रभात फेरी के अवसर पर बाँटने के लिये 5 करोड़ रूपये की टी-शर्ट और 35 लाख रूपये की टाॅफी की खरीद में अनियमितता हुई है तथा टाॅफी की आपूर्ति करनेवाले जमशेदपुर के ‘‘लल्ला इंटरप्राईजेज’’ पर वाणिज्य-कर विभाग ने 17 लाख रूपये से अधिक का जुर्माना इस कारण से लगाया है कि उक्त अवधि में ‘‘लल्ला इंटरप्राईजेज’’ के हिसाब-किताब में न तो टाॅफी की खरीद का जिक्र है और न टाॅफी की बिक्री का जिक्र है।
इसी तरह इस अवसर पर पंजाब के लुधियाना से ‘‘मेसर्स कुड़ू फैब्रिक्स’’ द्वारा आपूर्ति किये गये 5 लाख टी-शर्ट किन वाहनों से लाये गये, इसकी जानकारी भी सरकार को नहीं है। इसका भी पता झारखण्ड सरकार को नहीं है कि पंजाब सरकार ने लुधियाना से राँची लाने के लिये टी-शर्ट लदे किसी ट्रक को रोड परमिट दिया है या नहीं ? सरकार ने यह भी स्वीकार किया है कि झारखण्ड की सीमा में इस ट्रक केे प्रवेश करने एवं रांची तक आने के लिये झारखण्ड सरकार ने ‘‘कुडू फैब्रिक्स’’ को कोई रोड परमिट जारी नहीं किया है। यानी कुल मिलाकर टाॅफी एवं टी-शर्ट की आपूर्ति में फर्जीवाड़ा हुआ है। यदि टी-शर्ट की खेप रेलवे से आई है तो उसकी बिल्टी एवं पंजाब सरकार अथवा झारखण्ड सरकार का रोड परमिट इसके साथ होना चाहिए, पर झारखण्ड सरकार के पास ऐसा कोई कागजात नहीं है।
श्री राय का दावा है राज्य स्थापना वर्ष-2016 के अवसर पर केवल टाॅफी और टी-शर्ट की खरीद एवं आपूर्ति में ही भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, अन्य मदों में भी घपला ही घपला हुआ है। सुनिधि चैहान नामक फिल्मी पार्श्व गायिका के सांस्कृतिक कार्यक्रम पर करीब 55 लाख रूपये से अधिक का व्यय सरकार द्वारा दिखाया गया है। उल्लेखनीय है कि राज्य स्थापना दिवस 15 नवम्बर, 2016 के अतिरिक्त सुनिधि चैहान का कार्यक्रम 6 नवंबर, 2016 को छठ पूजा के अवसर पर जमशेदपुर में भी हुआ था। जाँच का विषय है कि क्या इस निजी कार्यक्रम का खर्च भी सुनिधि चैहान के राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर हुये सरकारी कार्यक्रम के खर्च में ही तो नहीं जोड़ दिया गया? ज्ञात हो कि झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ही जमशेदपुर सूर्य मंदिर परिसर में आयोजित छठ पूजा कार्यक्रम के आयोजक थे। इन्होंने सुनिधि चैहान के जमशेदपुर के कार्यक्रम पर कितना खर्च किया है, यह सार्वजनिक होना चाहिए।
राज्य स्थापना वर्ष-2016 का कार्यक्रम हर साल 15 नवम्बर को आयोजित किया जाता है। यह एक स्थायी कार्यक्रम है। इसकी तैयारी आनन-फानन में 20 दिनों के भीतर किये जाने तथा इसके लिये टाॅफी, टी-शर्ट, सुनिधि चैहान का कार्यक्रम, जर्मन हैंगर, पूरे राँची शहर एवं कार्यक्रम स्थल पर साज-सज्जा की व्यवस्था में हुये खर्च को आकस्मिक खर्च बताने तथा इसके लिये राज्य वित्तीय नियमावली की धारा-245 के अधीन धारा-235 के प्रावधानों को शिथिल कर मनोनयन के आधार पर विभिन्न आईटम के लिये मनोनयन के आधार पर कार्यादेश देने का कोई तुक नहीं है। परन्तु 2016 में तत्कालीन सरकार ने ऐसा ही किया है। यह निर्णय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में दिनांक 21.10.2016 को लिया गया। इस बारे में निम्नांकित बिन्दु गौर किये जाने योग्य हैः-
1. 15 नवम्बर, 2016 को आयोजित राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम के लिये आयोजन से मात्र 24 दिन पहले दिनांक 21.10.2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई, जिसमें तय हुआ कि राज्य के सभी मध्य विद्यालयों के बच्चों द्वारा 15 नवम्बर की सुबह प्रभात फेरी निकाला जाये और इस अवसर पर स्कूली बच्चों को एक टी-शर्ट और एक मिठाई का पैकेट दिया जाय।
2. आयोजन से मात्र 19 दिन पहले दिनांक 26.10.2016 को आयोजन पर होने वाले खर्च के लिये आपूतिकर्ताओं का चयन मनोनयन के आधार पर करने के लिये नियम-245 के अधीन नियम-235 को शिथिल करने के प्रस्ताव पर सहमति के लिये संचिका वित्त विभाग को प्रेषित की गई। इसमें भी जिक्र है कि प्रभात फेरी के बाद नाश्ता के लिये स्कूली छात्रों को मिठाई का पैकेट दिया जाय।
3. दिनांक 28.10.2016 को 10 करोड़ रूपये अग्रिम लेने की संचिका वित्त विभाग को बढ़ाई गयी जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री का हस्ताक्षर है। कार्यक्रम आयोजन के करीब एक सप्ताह पूर्व 09.11.2016 को 3 करोड़ रूपये की निकासी का आदेश मुख्यमंत्री ने दिया और 11 नवम्बर, 2016 को पहली बार मिठाई के साथ-साथ टाॅफी (मिठाई/टाॅफी) की खरीद का जिक्र हुआ और जमशेदपुर के लल्ला इंटरप्राईजेज से टाॅफी की खरीद करने का निर्णय हुआ।
4. दिनांक 10.11.2018 को मिठाई/टाॅफी की आपूर्ति करने हेतु तत्कालीन मुख्यमंत्री के विधान सभा क्षेत्र स्थित ‘‘लल्ला इंटरप्राईजेज’’ का मनोनयन करने के लिये मंत्रिमंडल सचिवालय के सचिव को पत्र भेजा गया कि वे ‘‘लल्ला इंटरप्राईजेज’’ से टाॅफी एवं मिठाई क्रय करने की अनुमति दें। इसके दो दिन बाद से ही 12,13 एवं 14 नवम्बर को ‘‘लल्ला इंटरप्राईजेज’’ द्वारा झारखण्ड शिक्षा परियोजना को टाॅफी और ‘कुडू फैब्रिक्स’ द्वारा टी-शर्ट की आपूर्ति जमशेदपुर, राँची और धनबाद में आपूर्ति कर दी गयी, जबकि आपूर्ति केवल रांची में ही करनी थी। 14 नवम्बर को आधे से अधिक टी-शर्ट और टाॅफी की आपूर्ति राँची में दिखा दी गई और 15 नवम्बर की सुबह प्रभात फेरी में भाग लेनेवाले बच्चों को देने के लिए टी-शर्ट और टाॅफी की यह खेप राज्य के दूर-दराज स्थानों के विद्यालयों में उपलब्ध करा दी गयी।

टाॅफी और टी-शर्ट की खेप एक ही रात में राज्य के दूर-दराज के स्कूलों में किस माध्यम से पहुँचा दी गयी, यह एक रहस्य है। इतना ही नहीं राज्य सरकार द्वारा राज्य के जितने विद्यालयों में टाॅफी और टी-शर्ट उपलब्ध कराने का ब्योरा दिया गया है और विभिन्न जिलों से प्रखण्डों में जितने विद्यालयों में टाॅफी और टी-शर्ट पहुँचाने के आँकड़े दिये गये है, उनकी संख्या में करीब 9 हजार का अंतर है। यानी इस काम के लिए राज्य मुख्यालय द्वारा जितने स्कूलों में टाॅफी एवं टी-शर्ट भेजा गया, उनकी संख्या प्रखण्ड मुख्यालय द्वारा जितने विद्यालयों में टाॅफी एवं टी-शर्ट बाँटा गया, उसकी संख्या से करीब 9 हजार अधिक है। यह इसलिए है कि विधानसभा में प्रश्न होने के बाद आनन-फनन में टाॅफी और टी-शर्ट वितरण का हिसाब-किताब फर्जी तरीके से शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किया गया। एक ही प्रकार के कम्प्यूटर जनित फार्मेट में प्राप्ति रसीदें तैयार की गई हैं, जिनपर किया हुआ हस्ताक्षर और कलम की स्याही भी मिलता जुलता प्रतीत होता है, मानो यह हस्ताक्षर एक ही व्यक्ति ने एक ही कलम से किया है।

सरयू राय का कहना है भ्रष्टाचार का यह मामला केवल टाॅफी और टी-शर्ट की आपूर्ति तथा सुनिधि चैहान के कार्यक्रम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रम में लगाये गये टेंटनुमा जर्मन हैंगर, शहर की साज-सज्जा, राँची में सड़कों की मरम्मति और राँची शहर में बिजली के हजारों पोल पर की गई विद्युत साज-सज्जा की व्यवस्था आदि सभी कार्यक्रमों के लिये आपूर्तिकर्ताओं का चयन निविदा के आधार पर न होकर मनोनयन के आधार पर हुआ है। इस भ्रष्टाचार एवं अनियमितता में राज्य के वाणिज्य-कर विभाग के साथ ही शिक्षा विभाग, मंत्रिमंडल सचिवालय एवं समन्वय विभाग, पथ निर्माण विभाग, ऊर्जा विभाग आदि भी शामिल हंै। इसलिये इस मामले की जाँच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, विधान सभा की समिति अथवा किसी अन्य बाह्य एजेंसी से कराये जाने की आवश्यकता है। एक दिन के कार्यक्रम के लिए 15-20 करोड़ रु. से अधिक राशि खर्च करने और इसके लिए एजेंसियों का चयन मनोनयन के आधार पर करने के पीछे की साजिश की गहन जाँच जरूरी है।
विधायक ने कहा इसके अतिरिक्त यह मामला वित्तीय नियमावली के नियम-245 के अधीन नियम-235 को शिथिल करने के प्रावधान के दुरूपयोग से भी जुड़ा है। यह मामला सीधे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से जुड़ा हुआ है, जिनकी संलिप्तता इस मामले में कदम-कदम पर दिखायी पड़ती है।

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