मुंबई जलगांव में एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है। आरोप है कि कुछ पुलिसवालों ने यहां के सरकारी आशादीप गर्ल्स हॉस्टल में छात्राओं को कपड़े उतारकर नाचने के लिए मजबूर किया। यह मामला आज महाराष्ट्र की विधानसभा में भी गूंजा, जिसके बाद गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित कर दी है। यह समिति अगले दो दिन में इसकी जांच कर प्रारंभिक रिपोर्ट पेश करेगी।
इस मामले में BJP नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि अब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का समय आ गया है। अगर हमारे राज्य में महिलाओं के साथ ऐसी बदसलूकी हो रही हो तो इस सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है, और यही वह समय है जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए।
मुनगंटीवार के बयान पर मंत्री नवाब मलिक ने आपत्तिजनक बताते हुए इसे सदन की कार्रवाई से निकालने की मांग की है। जिसके बाद विधानसभा के कार्यवाहक अध्यक्ष ने बयान को जांचने का आदेश दिया है। मलिक ने यह भी कहा कि आप हमें राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी मत दीजिए यह लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार है। सरकार अपने संख्या बल से चलती है इस तरह धमकी देना गलत है। इसपर विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहां कि लोकतंत्र में सरकार बर्खास्त करने की मांग करना सदस्यों का अधिकार है।
ऐसे सामने आया मामला
मंगलवार को एक सामाजिक संगठन ने इस मामले का पर्दाफाश करते हुए जिलाधिकारी से इसकी शिकायत की थी। जिलाधिकारी के सामने सबूत के तौर पर इस घटना से जुड़ा वीडियो प्रस्तुत किया गया। जिलाधिकारी अभिजीत राऊत ने इस मामले की विस्तृत जांच कराने का आश्वासन दिया है।
स्थानीय जननायक फाऊंडेशन के अध्यक्ष फिरोज पिंजारी ने बताया कि महिला और बालकल्याण विभाग की ओर से जलगांव के गणेश कालोनी में स्थित हॉस्टल में बेसहारा, प्रताड़ित और पीड़ित महिलाओं और लड़कियों के रहने और खाने की व्यवस्था की जाती है। इस हॉस्टल में कुछ अनैतिक काम होने की जानकारी मिली थी। जिसके बाद NGO की टीम ने हॉस्टल में रहने वाली महिलाओं और लड़कियों से बातचीत की तो हकीकत बाहर आई।
जांच के नाम पर किया गया शोषण
आरोप के मुताबिक, यह घटना 1 मार्च की है। जांच के नाम पर कुछ पुलिस कर्मचारी और अन्य लोग हॉस्टल में दाखिल हो गए। इन लोगों ने लड़कियों से कपड़े उतरवा कर उनसे जबरदस्ती डांस करवाया। जिन लड़कियों ने ऐसा करने से मना किया उन्हें मारने-पीटने की धमकी दी गई। जब इस बारे में विस्तार से पता करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता वहां पहुंचे तो उन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया।
लड़कियों ने खिड़कियों से चिल्ला कर पूरी बातें बताईं। जिस वक्त लड़कियां अपना हाल बता रही थीं उस वक्त भी हॉस्टल के कर्मचारी वहां आ-आकर उनके साथ रोका-टोकी कर रहे थे, और बाद में देख लेने की धमकी दे रहे थे।