अध्यात्म मानव जीवन की अपरिहार्य आवश्यकता है। इसके द्वारा हमारे जीवन का संपूर्ण विकास होता है। विहंगम योग का सैद्धान्तिक सद्ग्रन्थ स्वर्वेद अध्यात्म जगत की एक अन्यतम कृति है। यह हमारी आध्यात्मिक यात्रा को सदैव जागृत रखता है।
उक्त उद्गार स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने संकल्प यात्रा के क्रम में शहर के रविन्द्र भवन में आयोजित जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं के मध्य व्यक्त किये।
सन्त प्रवर श्री ने बताया कि हमारा अज्ञान ही हमारे दुखों का कारण है।आत्मज्ञान की विस्मृति ही दुखों का करण है।
उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति अयोग्य नहीं। अच्छाइयां – बुराइयां सबके भीतर है। हमे दुर्बलताओं, कठिनाइयों से घबराना नहीं है। उन कठिनाइयों को दूर करने की जो प्रेरणा, जो शक्ति, जो सामर्थ्य है वह अध्यात्म के आलोक से, स्वर्वेद के स्वर से एक साधक को अवश्य ही प्राप्त होता है। क्योंकि हमारे भीतर अंतरात्मा रूप से परमात्मा ही तो स्थित है।
उन्होंने कहा कि स्वर्वेद का आचरण मनुष्य को देवत्व में स्थापित कर देता है। जब हम आत्म कल्याणकारी विचारों से अपने मन को भरते हैं तब हमारा मन शांत और स्थिर स्वभाव वाला बन जाता है।
संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को विहंगम योग के क्रियात्मक योग साधना को सिखाया। कहा कि विहंगम योग की साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने के लिए है। विहंगम योग का ध्यान आंतरिक शांति का मार्ग प्रशस्त करता है।
उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड की ध्वनि है ॐ। जो सर्वत्र गुंजायमान है। ये ध्वनि हमारे मन मस्तिष्क को प्रकाशित कर रही है। हम सबको प्रतिदिन ईश्वर के पवित्र वाचक नाम का उच्चारण करना चाहिए
दिव्यवाणी के दौरान श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि विहंगम योग के प्रणेता अमर हिमालय योगी अनन्त श्री सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज ने अपनी गहन साधना द्वारा ईश्वर से योग की प्राप्ति की एवं इस अतिदुर्लभ विज्ञान को स्वर्वेद नामक अद्वितीय आध्यात्मिक सद्ग्रंथ द्वारा जनमानस को सुलभ कर दिया। स्वर्वेद हमारी आध्यात्मिक यात्रा को सदैव जागृत रखता है।
उन्होंने जय स्वर्वेद कथा के क्रम में कहा कि भारत की आत्मा का नाम ही अध्यात्म है। आध्यात्मिक महापुरुषों के बदौलत ही भारत विश्व गुरु रहा है, विश्वगुरु है और मैं कहता हूं भारत विश्व गुरु रहेगा।
संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की दिव्यवाणी जय स्वर्वेद कथा के रूप में लगभग 2 घंटे तक प्रवाहित हुई । स्वर्वेद के दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे।
आयोजकों ने बताया कि विहंगम योग सन्त समाज के शताब्दी समारम्भ महोत्सव एवं 25000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज 17 जुलाई को संकल्प यात्रा का शुभारंभ कश्मीर की धरती से हो चुका है। संकल्प यात्रा कश्मीर , जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड , उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल के पश्चात बिहार के 27 जिले में होते हुए झारखण्ड पहुंच गई है।
आगामी 17 एवं 18दिसंबर 2023 को विशालतम ध्यान – साधना केंद्र (मेडिटेशन सेंटर) स्वर्वेद महामंदिर, वाराणसी के पावन परिसर में 25000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होना है। उसी क्रम में यह संकल्प यात्रा हो रही है जिससे अधिक से अधिक लोगों को पूरे भारत वर्ष में लाभ मिले।
इस शताब्दी समारम्भ महोत्सव में विहंगम योग के प्रणेता अनंत श्री सदगुरू सदाफल देव जी महाराज की 135 फिट से भी ऊंची प्रतिमा (Statue of Spirituality) का भी शिलान्यास होगा।
दिव्यवाणी के मध्य झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पधारे ,संत समाज द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया।
आयोजन में झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता , न्यू इस्पात मेल और चमकता आईना के सम्पादक बृज भूषण सिंह,राधाकृष्ण सिन्हा, विष्णुकांत खेमका, सुरेंद्र सिंह, ,ललित सिंह, अखिलेश्वर शर्मा, कोल्हान युवा प्रभारी नीरज मिश्रा, कन्हैयालाल अग्रवाल, नगीना सिंह, उमेश यादव संग सैकड़ों लोग उपस्थित हुए।