राज्यपाल एवं राज्यसभा के उपसभापति ने रांची में किया शिखर को छूते ट्राइबल्स भाग चार का लोकार्पण

*संदीप मुरारका हैं इस पुस्तक के लेखक*

Ranchi 17दिसंबर. डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा चतुर्थ राष्ट्रीय विचार मंथन का उदघाट्न राँची के ऑड्रे हाउस में हुआ. खरसावां शहीद दिवस की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ. उदघाट्न अवसर पर अतिथियों के रुप में झारखंड के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, जैविक खेती अभियान के संस्थापक क्रांति प्रकाश, राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिषेक रंजन सिंह, सेवानिवृत न्यायाधीश टी गोपाल सिंह, रांची विश्वविद्यालय के कुलपति अजीत कुमार सिंहा, पूर्व मंत्री व समाजवादी रामचंद्र केसरी एवं दिनेश षंडगी उपस्थित थे. इस कार्यक्रम में राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन एवं राज्यसभा उपसभापति हरिवंश द्वारा महत्वपूर्ण पुस्तकों का लोकार्पण किया गया.

स्मारिका खरसावां स्मरण, विधानसभा में बदरीविशाल (आंध्र प्रदेश असेंबली में बदरीविशाल पित्ती जी के भाषणों का संकलन), डॉ. लोहिया की एक दुर्लभ क़िताब नागरिक स्वतंत्रता का संघर्ष के ओड़िया संस्करण (अनुवादक डॉ विनी षाडगी) सहित, जनजातीय समुदाय पर लिखी गई पुस्तक शिखर को छूते ट्राइबल्स के चौथे भाग का विमोचन हुआ।

शिखर को छूते ट्राइबल्स भाग चार के लेखक संदीप मुरारका हैं. वे लगातार वैसे जनजातीय विभूतियों का संक्षिप्त परिचय समाज के सामने ला रहे हैं, जो समाज के लिये प्रेरणा स्त्रोत हैं. संदीप की इस पुस्तक में 27 प्रेरक व्यक्तित्वों का जीवन चरित संकलित है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री दिशोमगुरु शिबू सोरेन, मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई छगनलाल पटेल, भारत के 11वें लोकसभा अध्यक्ष
पद्मविभूषण पी ए संगमा, ओड़िशा के पूर्व राज्यपाल पद्मभूषण सेनायांगबा चुबातोशी जमीर, संताली के बहुचर्चित नाटककार पद्मश्री कालीपद सरेन, पुरुलिया छऊ नृत्य के प्रतिपादक पद्मश्री गंभीर सिंह मुडा (मुरा), द टनल मैन ऑफ कर्नाटक पद्मश्री अमाई महालिंग नाइक, सुप्रसिद्ध वरली चित्रकार पद्मश्री जिव्या सोमा माशे, तेलंगाना के मुखर लोक गायक और ढोल वादक पद्मश्री साकीनी रामचंद्रैया, विश्वविख्यात लोक नर्तक
पद्मश्री कनक राजू , विख्यात जैज़ संगीतकार पद्मश्री नील नोंगकिंरिह, मेघालय की खासी भाषा के अद्वितीय गीतकार पद्मश्री स्केनड्रोवेल सियमलियेह, लड़कियों की शिक्षा के लिए जीवनपर्यंत प्रयासरत पद्मश्री सिल्वरिने स्वेर, असम में डायन प्रथा के विरुद्ध लड़ने वाली सामाजिक कार्यकर्ता
पद्मश्री बिरुबाला राभा, अरुणाचल प्रदेश में महिला सशक्तिकरण व शिक्षा के लिए समर्पित पद्मश्री बिन्नी यांगा,
हॉकी भारत के अध्यक्ष पद्मश्री दिलीप तिर्की, सिक्किम के विख्यात थांका चित्रकार पद्मश्री खांडू वांगचुक भूटिया,
नागालैंड के विख्यात पत्रकार एवं लेखक पद्मश्री टी सेनका आओ, गांधीवादी विचारों की प्रचारक पद्मश्री लेंटिना आओ ठक्कर, नागा जनजाति से पहले राज्यसभा सांसद पद्मश्री मेलहुप्रा वेरो, सुमी नागा जनजाति के जुझारु राजनेता
पद्मश्री तोखेहो सेमा, फादर ऑफ हिंदी इन नागालैंड पद्मश्री पियोंग टेमजेन जमीर, देश की अखंडता के लिए समर्पित
जम्मू कश्मीर के जनजातीय कार्यकर्ता पद्मश्री मोहम्मद दीन जागीर, हिंदी में आदिवासी साहित्य के मुंशी प्रेमचंद
हरिराम मीणा, कुंड़ूख भाषा के उत्कृष्ट साहित्यकार महादेव टोप्पो, विश्व की सबसे ऊंची सड़क फतह करने वाली बाइकर कंचन उगूरसैंडी, देश की पहली आदिवासी महिला पायलट अजमेरा बॉबी की संघर्ष गाथाओं एवं सफलता की कहानियों को बयान करती इस पुस्तक के अंत में एक महत्वपूर्ण आलेख जनजातीय संस्कृति और परंपराओं से समृद्ध भारतवर्ष भी प्रकाशित है.

उपरोक्त कार्यक्रम में खरसावां गोलीकांड पर केंद्रित लघु फ़िल्म प्रदर्शित की गई, जिसके निर्माण में लेखक संदीप मुरारका का सहयोग रहा है. लेखक संदीप मुरारका ने जनजातीय समुदाय और समाजवाद विषय पर विद्वतापूर्ण विचार रखते हुये सेंदरा पर्व में शिकार का समान बंटवारा, संताल समुदाय में वर पक्ष द्वारा वधू पक्ष को 12 टका देने की परंपरा, पद्मश्री सिमोन उरांव के सामूहिक खेती मॉडल एवं पद्मश्री दैतारी नायक द्वारा खोदी गई नहर की चर्चा की.

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