रागी संदीप सिंह का कीर्तन ‘ऐसे गुरु को बल-बल जाईये…….’ सुन भाव-विभोर हुई संगत
दरबार साहिब, अमृतसर से आये महान रागी संदीप सिंह की मनमोहक आवाज में कीर्तन भाव-विभोर हो उठी संगत
शुक्रवार को साकची गुरुद्वारा साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाशोत्सव के पावन अवसर पर लगभग ग्यारह हजार सिख संगत ने गुरु महाराज के सम्मुख माथा टेक कर आशीर्वाद ग्रहण किया।
प्रकाशपर्व के पहले दिन शुक्रवार को सर्वप्रथम दो दिन पूर्व आरम्भ किये गए अखंड पाठ की समाप्ति की अरदास में सिख संगत बड़ी संख्या में शामिल हुई। ग्रंथी अमृतपाल सिंह मन्नन ने विश्वशांति की अरदास गुरु महाराज के सामने की। उपरांत सुखमणी साहिब कीर्तनी जत्था, स्त्री सत्संग सभा, भाई जसपाल सिंह, भाई दिलजीत सिंह भोपाल वाले ने शब्द-कीर्तन कर संगत को निहाल किया। ढाढी जत्था भाई भूपिंदर सिंह जोगी ने भी संगत को सिख इतिहास से रु-बू-रु कराया। लेकिन जब दरबार साहिब, अमृतसर से आये महान रागी ज्ञानी संदीप सिंह ने शब्द-कीर्तन गायन शुरू किया तो संगत गुरु की बाणी के रस में ऐसा लीन हुई कि आंसू के रूप में भक्ति रस आँखों से बहने लगा। ‘धन्य धन्य रामदास गुर, जिने सिरया तिने सवारिआ’ और ‘मित्तर प्यारे नु हाल मुर्रीदा दा केहना’ शब्द गायन कर संगत को निहाल किया। इस अवसर पर संगत को पंगत बैठाकर लंगर छकाया और प्रसाद बांटा गया।
साकची गुरुद्वारा के प्रधान सरदार निशान सिंह और महासचिव परमजीत सिंह काले ने पहले दिन के कार्यक्रम में गुरु घर में विशाल संख्या में हाजरी भरने के लिए संगत का धन्यवाद दिया और दूसरे और अंतिम दिन भी गुरु दरबार में हाजरी भरने की अपील जमशेदपुर की संगत से की। प्रकाशपर्व के मौके पर शहर के सिख कुछ शख्सियतों को सम्मानित भी किया गया। प्रधान निशान सिंह, ट्रस्टी सतनाम सिंह सिद्धू-जगजीत सिंह, महासचिव परमजीत सिंह काले और शमशेर सिंह सोनी, सतनाम सिंह घुम्मन, जगमिंदर सिंह, ताज सिंह, मनमोहन सिंह, सुरजीत सिंह छीते, जसबीर सिंह गाँधी, महेंद्र सिंह, सुखविंदर सिंह निक्कू, त्रिलोचन सिंह तोची, बलबीर सिंह, अवतार सिंह, अमरपाल सिंह, जसवंत सिंह लाडी, सन्नी सिंह, अमन सिंह और नानक सिंह समेत साकची कमिटी के सभी सदस्यों ने प्रकाशपर्व के पहले दिन को सफल बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभायी। जबकि मंच संचालन में सुरजीत सिंह छीते, मनमीत सिंह के नेतृत्व में नौजवान सभा के युवकों ने जोड़े घर एवं गुरु नानक स्कूल के छात्र-छात्राओं ने लंगर की सेवा बखूबी निभाई।