झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के (जेएसएलपीएस) माध्यम से स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़कर कमा रहीं 800 से 1000 रुपये प्रतिदिन
धालभूमगढ़ प्रखंड के कुकड़ाखुपी गांव की सविता महतो ग्रामीण महिलाओं के लिए एक उदाहरण है। जीवन में आगे बढ़ने की चाह और आत्मनिर्भरता की ओर उठाये गए कदम ने उनके परिवार को समृद्धि और आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है। और इस प्रयास को सफल बनाया है झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (जेएसएलपीएस) ने, जिसके माध्यम से धालभूमगढ़ जिले में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़कर सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ उठाया। इसके लिए उन्होंने अपने आप को नयी तकनीकों से सुदृढ़ बनाया और जेएसएलपीएस द्वारा दिए गए ऋण को लेकर खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया।
कुकड़ाखुपी गांव की सविता महतो की कहानी एक ऐसी सफल महिला की कहानी है जो स्वयं सहायता समूह से जुड़कर आज रोजाना 800 से 1000 हजार रुपये कमा रही हैं। वह एक सिलाई मशीन और मूढ़ी बनाने की मशीन की मालकिन हैं। पति के साथ मिलकर मूढ़ी का उत्पादन कर वह 800 से 1000 रुपये रोजाना कमा रही हैं।
सविता महतो ने बताया कि उनके पति प्रभात रंजन महतो पहले गांव में ट्यूशन पढ़ाकर परिवार का गुजारा करते थे। जब गांव में जेएसएलपीएस की सीआरपी दीदी आयी और उन्हें समूह के महत्व और सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में बताया तो उन्होंने राधा-कृष्ण महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ने का फैसला किया। समूह से मिले ऋण से उन्होंने सिलाई मशीन खरीदी और घर पर ही कपड़े सीना शुरू कर दिया। इससे उन्हें कुछ कमाई होने लगी।
2022 में उन्होंने सीसीएल ऋण के तहत एक लाख रुपये का ऋण लेकर मूढ़ी बनाने की मशीन खरीदी। उन्होंने घर में ही मशीन लगाकर मूढ़ी बनाने का काम शुरू कर दिया। पति के साथ मिलकर वह मूढ़ी बनाती हैं और उसे पैक करके स्थानीय बाजारों में बेचती हैं।
सविता महतो ने कहा कि जेएसएलपीएस से उन्हें आजीविका का एक अच्छा स्रोत मिला है, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। अब वह अन्य महिलाओं को भी स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करती हैं।