: अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी और वहां की सत्ता पर पूरी तरह से तालिबान के कब्जे के बाद अफगान लोगों में काफी डर बना हुआ है. लोग न सिर्फ अपने और अपने परिवार के भविष्य बल्कि जान की सुरक्षा को लेकर चिंता कर रहे हैं. इस बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान से इस हाल में अमेरिका की वापसी की भारी आलोचना की है. राष्ट्रपति पुतिन ने अफगानिस्तान में अमेरिका की भागीदारी की आलोचना करते हुए दावा किया कि वहां उसने अपनी 20 साल लंबी सैन्य उपस्थिति से “शून्य” हासिल किया है.
रूस के राष्ट्रपति ने बुधवार को कहा कि 20 वर्षों तक, अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में”… वहां रहने वाले लोगों को सभ्य बनाने की कोशिश कर रही थी. इसका परिणाम व्यापक त्रासदी, व्यापक नुकसान के रूप में सामने आया.. यह नुकसान दोनों को हुआ, ये सब करने वाले अमेरिका को और इससे भी अधिक अफगानिस्तान के निवासियों को. परिणाम, अगर नकारात्मक नहीं तो शून्य है.’’
पुतिन ने कहा कि “बाहर से कुछ थोपना असंभव है. अगर कोई किसी के लिए कुछ करता है, तो उन्हें उन लोगों के इतिहास, संस्कृति, जीवन दर्शन के बारे में जानकारी लेनी चाहिए… उनकी परंपराओं का सम्मान करना चाहिए.’’ रूस दस साल तक अफगानिस्तान में युद्ध लड़ता रहा और 1989 में सोवियत सैनिकों की वापसी हुई. रूस ने पिछले कुछ वर्षों में मध्यस्थ के रूप में राजनयिक वापसी की है.
अफगानिस्तान सीमा पर लगी भीड़
काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सैनिकों की वापसी और उसे बंद किए जाने के बाद अब भारी संख्या में लोग बॉर्डर का रुख कर रहे हैं. तालिबान का पूरी तरह से अफगानिस्तान पर नियंत्रण हो चुका है. बुधवार को अफगानिस्तान की सीमा पर लोगों की काफी लंबी लाइन देखी गई. सोमवार को अमेरिकी सैनिकों ने पूरी तरह से वापसी कर ली. इससे पहले, पिछले करीब 20 सालों के दौरान पश्चिमी देशों की मदद करने वाले भारी संख्या में अफगान लोगों वहां से अमेरिका ने एयरलिफ्ट कराया गया.
इधर, अब तालिबान का पूरा ध्यान बैंक, अस्पताल और सरकारी तंत्र को चलाने पर है. काबुल हवाई अड्डे के बंद होने के बाद, तालिबान के प्रतिशोध से डरने वाले अफ़गानों की मदद करने के लिए निजी तौर पर ईरान, पाकिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ लगती सीमाओं से उन लोगों को पार के लिए सुरक्षित मार्ग की व्यवस्था करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.