500 रुपये में अब नहीं भर रहा झोला, हरी सब्जियों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि

*आलू-प्याज के मूल्य एक माह में डबल

जमशेदपुर 10 जुलाई चुनाव खत्म हुए मात्र एक महीना ही हुआ है और हरी सब्जियों के मूल्य बाजार में दोगुना से भी अधिक बढ़ गए हैं. चुनाव के समय जो आलू 20रु प्रति किलो मिल रहा था अब उसका मूल्य 40 तक जा पहुंचा है तो प्याज भी हाफ सेंचुरी के करीब 45 रु तक जा पहुंचा है. 10 जुलाई को जब सब्जी मंडी में सब्जियों के मूल्य कुछ इस प्रकार से थे. लौकी 40 रु प्रति किलो, नेनुआ 40 रु भिंडी, 60 रु, पटेल 50 रु, करेला 80रु , बीन्स80 रु, गाजर 80 रु, बंधा गोभी 50 रु, पपीता 50 रु और बरबटी 60 रु .वहीं 80? प्रति किलो टमाटर का भाव सुनकर ग्राहकों के चेहरे लाल- पीले हो जा रहे हैं. उधर सिर्फ पर्व- त्योहारों में महंगा बिकने वाला खीरा का मूल्य भी अब आम दिनों में 60 रुपए किलो तक जा पहुंचा है तो दूसरी तरफ बाजार में सबसे सस्ता सब्जी कहा जाने वाला कुंदरु भी प्रति किलो ?60 के क्लब में शामिल होकर रईस सब्जियों की श्रेणी में जा खड़ा हुआ है.एक माह पूर्व जो सब्जियां 20 से 30? प्रति किलो बिक रही थी चुनाव के बाद उसके मूल्य 40 से 80रु किलो तक जा पहुंचें हैं. ऐसी बात नहीं है कि बाजार में सब्जियों की कोई कमी है. मार्केट में हर सब्जी विक्रेता के पास सब्जियां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नजर आईं लेकिन कोई भी विक्रेता दाम काम करने को लिए तैयार नहीं दिखा.बातचीत करने पर उनका कहना था कि खाने- पीने की चीजों के दाम इतने बढ़ गए हैं तो हम क्यों सब्जियों के दाम कम करें. एक कप चाय 10 रु में, दो इडली या दो समोसा ?20 में और भोजन की एक थाली ?60 में मिल रही है तो सिर्फ हमसे ही सवाल क्यों? बाजार में स्थानीय विक्रेताओं के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले सब्जी विक्रेता भी मूल्य के साथ कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं दिखें. फलस्वरुप आम लोगों के चेहरे पर सब्जी लेते वक्त गुस्सा और झुंझलाहट साफ नजर आ रही थी. खरीदार यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि क्या खरीदे और क्या ना खरीदे या फिर आज क्या खाएं या ना खाएं. बाजार में सब्जी विक्रेता बढ़ी कीमतों के मद्देनजर समझदारी दिखाते हुए अब सब्जियों के दाम किलो के बजाय पाव (250ग्राम) में बता रहे हैं तो उपभोक्ता भी अपना बजट नियंत्रण में रखने के लिए सब्जियां किलो के बजाय पाव भर लेने में विवश हो रहे हैं. दूसरी तरफ सब्जियों के साथ-साथ लहसुन-अदरक के दाम भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं. लहसुन जहां 260 रुपए से ?300 प्रति किलो बिक रहा है वहीं अदरक का मूल्य भी 300 के पार जा पहुंचा है. महंगाई के इस मुकाम पर हरी मिर्च ने अपने ऊपर लगे दाग को धो डाला है. मिर्ची अब तक इसलिए बदनाम था कि खरीदार सब्जियों के साथ फ्री में उसे मांग लेते थे लेकिन अब सब्जी विक्रेता मिर्च गिनती कर के बेच रहे हैं, क्योंकि मिर्ची का भाव ?200 तक जा पहुंचा है .. वहीं नींबू भी10 रु में एक मिल रहा है. कुल मिलाकर स्थिति यह है कि ?500 खर्च करने के बाद भी थैला पूरी तरह नहीं भर पा रहा है. अनुमान के मुताबिक अगर किसी परिवार में पांच सदस्य है तो रोजाना लगभग 200रुपया सिर्फ आलू-प्याज और हरी सब्जियों में खर्च हो जा रहा है. इसी से महंगाई की गंभीर स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है

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