SC की रेवड़ी कल्चर पर कड़ी टिप्पणी, जनकल्याणकारी योजनाओं और मुफ्तखोरी को अलग-अलग देखने की जरूरत-CJI

मुफ्त योजनाओं के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कड़ी टिप्पणी की और कहा कि मुफ्त योजनाएं एक अहम मुद्दा हैं. इस पर बहस की जरूरत है. इस मसले पर कल (24 अगस्त) भी सुनवाई जारी रहेगी.

‘जनकल्याणकारी योजनाओं और मुफ्तखोरी को अलग-अलग देखने की जरूरत’

मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि दलीलों से साफ है कि आप सिर्फ चुनाव के दौरान होने वाली मुफ्तखोरी के वायदों पर रोक चाहते हैं. हालांकि, इससे जुड़े दूसरे मसले भी अहम हैं, जहां दूसरी जनकल्याणकारी योजनाओं की आड़ में दूसरे तरह के मुफ्त फायदे दिए जाते है. चीफ जस्टिस ने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं और मुफ्तखोरी को अलग-अलग देखने की जरूरत है.

जनता को जानने का हक
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश वकील विकास सिंह ने कहा कि जनता को जानने का हक है कि मुफ्त घोषणाओं के लिए पैसा कहां से आएगा. राजनीतिक दल बकायदा इसका घोषणापत्रों में उल्लेख करें कि इन घोषणाओ पर अमल के लिए अतिरिक्त पैसे की व्यवस्था कैसे होगी. जनता को ये जानने का हक है. टैक्स पेयर्स को ये जानने का हक है कि उनके चुकाए टैक्स क्या इस्तेमाल हो रहा है.

याचिकाकर्ता ने की थी ये मांग
इससे पहले 20 अगस्त को याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मुफ्त सुविधाओं के मामले पर जवाब दाखिल किया गया था. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि चुनाव आयोग द्वारा राजनीति दलों के घोषणापत्रों की मंजूरी के बाद ही पार्टियों को मुफ्त सुविधाओं की घोषणाओं की स्वीकृति होनी चाहिए. इसके साथ ही याचिका में कहा गया कि इसके लिए चुनाव आयोग के पास एक स्वतंत्र आर्थिक जानकारों की कमेटी भी होनी चाहिए.

Share this News...