जमशेदपुर। उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा अब इस दुनिया में भले ही नहीं रहे, लेकिन उन्हें हमेशा उनकी सादगी और शांत स्वभाव के लिए याद किया जाता रहेगा. शनिवार 28 दिसंबर को रतन टाटा की 87वीं जयंती है. वह देश के सबसे सम्मानित उद्योगपतियों में से एक रहे. साल 1937 में मुंबई में जन्मे रतन टाटा अपनी सादगी और विनम्रता के लिए जाने जाते थे. उन्हें भारत के सबसे विनम्र व्यवसायी के रूप में भी जाना गया. एक बिजनेस टाइकून होने के साथ-साथ रतन टाटा एक मोटिवेशनल स्पीकर भी रहे.
टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पोते नवल टाटा के बेटे हैं. रतन टाटा को उनकी दादी नवाजबाई ने टाटा पैलेस में तब से पाला, जब वह महज 10 साल के थे.
25 साल की उम्र में शुरू किया अपना करियर
रतन टाटा ने 25 साल की उम्र में कंपनी में अपना करियर शुरू किया था. वह 1959 में आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए कॉर्नेल विश्वविद्यालय गए. उन्होंने 1962 में भारत लौटने से पहले लॉस एंजिल्स में जोन्स और एम्मन्स के साथ भी काम किया.
जमशेदपुर में पहली नौकरी टाटा स्टील डिवीजन के साथ
रतन टाटा साल 1962 में टाटा समूह में शामिल हो गए
और उनकी पहली नौकरी जमशेदपुर में टाटा स्टील डिवीजन के साथ काम करने की थी. 1975 में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट का कोर्स किया. रतन टाटा 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने।
भारत का पहला स्वदेशी वाहन टाटा इंडिका
रतन टाटा ने भारत का पहला स्वदेशी वाहन टाटा इंडिका बनाया. भारत की इस पूरी तरह से स्वदेशी कार को 1998 में ऑटो एक्सपो और जिनेवा इंटरनेशनल मोटर शो में प्रदर्शित किया गया था. टाटा इंडिका एक पेट्रोल और डीजल इंजन के साथ उपलब्ध थी. रतन टाटा को उड़ने का बहुत शौक था. वह 2007 में F-16 फाल्कन (F-16 Falcon) उड़ाने वाले पहले भारतीय बने थे.