स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना की हो सीबीआई जांच ,150 करोड़ की परियोजना 45 साल में 14 हजार करोड़ की हो गई, फिर विस्थापितों को नहीं मिला न्याय

लोकसभा में सांसद संजय सेठ ने सरकार से किया आग्रह

चांडिल : चांडिल डैम और विस्थापितों से जुड़ी समस्या को लेकर सांसद संजय सेठ ने लोकसभा में आवाज उठाई। सांसद ने इस पूरी परियोजना की सीबीआई जांच की मांग की है। नियम 377 के तहत सांसद ने लोकसभा में अपनी बात रखते हुए कहा कि 1976 में संयुक्त बिहार था, उस समय झारखंड के चांडिल में स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना लाइ गई। उस परियोजना के तहत स्वर्णरेखा नदी पर बड़ा बांध बनाना था, और इस से बिजली उत्पादन, सिंचाई सहित कई उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाना था। परियोजना को आए हुए 45 साल से अधिक हो गए परंतु अब तक यह परियोजना पूर्ण नहीं हो पाई। सांसद श्री सेठ ने सदन में कहा कि 1976 में 150 करोड रुपए की लागत से शुरू हुई परियोजना आज 14 हजार करोड रुपए से अधिक के लागत की हो चुकी है। बावजूद इसके न तो विस्थापितों को न्याय मिल पाया ना तो यह परियोजना पूर्ण हो पाई। परियोजना के कारण 116 गांव बुरी तरह प्रभावित हुए और इसके 19000 से अधिक परिवार विस्थापित हुए। आज भी जब बरसात का पानी डैम पर बढ़ता है तो इस क्षेत्र के सैकड़ों गांव जलमग्न हो जाते हैं। सालों भर विस्थापितों की समस्याएं चलती रहती हैं। विस्थापित मेरे पास भी आते हैं। कभी मुआवजे के भुगतान को लेकर तो कभी विकास पुस्तिका बनाने को लेकर। यह स्थिति दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। इस पर अब कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सदन के माध्यम से उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि परियोजना के आरंभ काल से लेकर अभी तक हुए कार्यों की सीबीआई से जांच कराई जाए ताकि विस्थापितों को न्याय मिल सके। परियोजना पूर्ण हो सके और आम जनता जो डैम को लेकर हमेशा दहशत में रहती है, वह भी सामान्य जीवन जी सके।

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