किसान आंदोलन–राकेश टिकैत के आंसुओं ने बदला माहौल

राकेश टिकैत किसानों के लोकप्रिय नेता बन उभरे

लखनऊ
कठिन हालात भी अक्‍सर रिश्‍तों की दूरियां मिटाने का काम करते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण टिकैत बंधु हैं। किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बड़े बेटे नरेश टिकैत वेस्‍ट यूपी के शक्तिशाली बलियान खाप के प्रमुख हैं। वहीं, छोटे बेटे राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्‍ट्रीय प्रवक्ता हैं, जो इस समय दिल्‍ली-गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं। नरेश टिकैत को अपने पिता की विरासत स्वाभाविक रूप से मिली है, लेकिन राकेश टिकैत हालिया किसान आंदोलन की वजह से लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं। इस किसान आंदोलन से राकेश टिकैत का कद कई गुना बढ़ गया है।
भले ही दोनों भाई एक ही संगठन से हों, लेकिन दोनों के बीच मतभेद सार्वजनिक हैं। पर, दिल्‍ली में गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद चल रहे किसान आंदोलन में जो घटनाक्रम हुए हैं, वे जाहिर तौर पर दोनों भाइयों को करीब ले आए हैं। राकेश टिकैत ने गुरुवार की रात गाजीपुर बॉर्डर पर रोते हुए भावनात्मक अपील की थी, जिससे उनके समर्थक मजबूती से उनके साथ जुड़ गए। इसके जरिये राकेश टिकैत ने अपने भाई के साथ भी एक अनकही दूरी पाट दी। नरेश टिकैत ने शुक्रवार को घोषणा की कि ‘मेरे भाई के आंसू व्यर्थ नहीं जाएंगे।’
टिकैत बंधुओं में कम हुई दूरी
छोटे भाई के आंसू देख बड़े भाई ने बुलाई महापंचायत
शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत के लिए नरेश टिकैत के आह्वान को पहले ही व्यापक समर्थन मिल गया है। महापंचायत औपचारिक रूप से शुरू होने से पहले ही मुजफ्फरनगर का जीआईसी मैदान खचाखच भरा हुआ था। हजारों किसान बीकेयू के समर्थन में नारे लगा रहे हैं और टिकैत बंधुओं का पूरा समर्थन कर रहे हैं। एक स्थानीय किसान हर गोविंद त्यागी ने कहा, ‘हमारे नेता हमसे जो भी कहेंगे, हम करेंगे। अगर हमसे कहा जाता है तो हम दिल्ली में मार्च करने के लिए तैयार हैं। यह आंदोलन खत्म नहीं होगा, जैसा कि कुछ लोग सोचते हैं।’
राकेश टिकैत के आंसुओं ने बदला माहौल
44 बार जेल जा चुके हैं राकेश टिकैत, संसद के बाहर जलाया था गन्‍ना
मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में 4 जून, 1969 में जन्में राकेश टिकैत कई दशकों से किसानों के हक की लड़ाई के लिए सक्रिय हैं। वह लगातार विभिन्न मंचों पर किसानों के अधिकार की बातें उठा चुके हैं। बताया जाता है कि किसानों के अधिकार की लड़ाई के चलते राकेश टिकैत 44 बार जेल जा चुके हैं। मध्य प्रदेश में भूमि अधिकरण कानून के खिलाफ हुए आंदोलन में राकेश टिकैत को 39 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था। कुछ साल पहले दिल्ली में संसद भवन के बाहर किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया तो उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। दरअसल, राकेश टिकैत ने संसद भवन के बाहर गन्ना जला दिया था।

लोकसभा चुनाव भी लड़ा, मिली थी हार
बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए राकेश टिकैत ने राजनीति में भी अपना भाग्‍य आजमाया था। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह ने वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में अमरोहा सीट से उन्‍हें प्रत्याशी बनाया था। यह अलग बात है कि उन्हें हार मिली। राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई करने के बाद एलएलबी भी किया है।
महापंचायत में आए किसान

दिल्‍ली पुलिस में थे कॉन्‍स्‍टेबल, छोड़ दी नौकरी
राकेश टिकैत वर्ष 1992 में दिल्ली पुलिस में कॉन्‍स्‍टेबल की नौकरी करते थे, लेकिन पिता महेंद्र सिंह टिकैत का प्रभाव उन पर खूब है। यही वजह है कि जब 1993-1994 में लाल किले पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था तो वह भी भावुक हो गए। राकेश टिकैत पर सरकार ने आंदोलन खत्म कराने का दबाव बनाया। साथ ही कहा कि वह अपने पिता और भाइयों को आंदोलन खत्म करने को कहें, जिसके बाद राकेश टिकैत पुलिस की नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए थे। पिता की मृत्यु के बाद राकेश टिकैत ने पूरी तरह भारतीय किसान यूनियन की कमान संभाल ली।
ट्रैक्‍टर परेड हिंसा से उठे आंदोलन पर सवाल
आपको बता दें कि दिल्‍ली में पिछले दो महीनों से देश भर के किसान कृषि बिलों को वापस लेने की मांग पर धरना दे रहे हैं। इस बीच, 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्‍टर परेड निकालने का ऐलान कर दिया। इस परेड के दौरान ही दिल्‍ली में लाल किले समेत अनेक जगहों पर हिंसा की वारदातें हुईं। किसान आंदोलन की आड़ में उपद्रवियों ने जमकर बवाल किया। हंगामे के दौरान जहां एक किसान की मौत हो गई वहीं 300 से ज्‍यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद पूरे देश में किसान आंदोलन पर सवाल उठने शुरू हो गए। बीकेयू समेत तीन किसान संगठनों ने अपना धरना वापस भी ले लिया।

मुजफ्फरनगर में चल रही महापंचायत

मुजफ्फरनगर महापंचायत में हुंकार भर रहे हजारों किसान
वहीं, गाजीपुर बॉर्डर पर धरना दे रहे राकेश टिकैत अड़ गए। उन्‍होंने चेतावनी दे दी कि अगर प्रशासन जबरदस्‍ती किसानों को हटाने की कोशिश करेगा तो वह आत्‍महत्‍या कर लेंगे। इस दौरान उन्‍होंने रोते हुए पूरे देश के किसानों से अपना साथ देने के लिए कहा। उनके आंसुओं को देख किसानों का खून खौल उठा। यूपी सरकार के विरोध में मुजफ्फरनगर में महापंचायत की जा रही है। इस महापंचायत में कई राज्‍यों से किसान शामिल हुए हैं। देखते ही देखते राकेश टिकैत किसानों के बड़े नेता बनकर उभरे हैं। खासकर पश्चिमी यूपी के किसान उनके एक इशारे पर कुछ भी करने के लिए तैयार दिख रहे हैं।

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