राजनगर,(चाईबासा) 15 january
मकर सक्रांति के दूसरे दिन यानी आखाना जात्रा की सुबह ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न गांवों में चि?ीदाग हो भाषा में तोम्बआ: की परंपरा निभाई गई। शुक्रवार को मकर सक्रांति के अवसर पर प्रखंड क्षेत्र के कालाझरना गांव में चि?ीदाग की परंपरा निभाई गई। बच्चों को पेट में गर्म छड़ (पतली छ?) से दागा गया। मान्यता है कि इससे बच्चों को पेट दर्द की बीमारी नहीं होगी। यह परंपरा काफी वर्षों से मकर सक्रांति में निभाई जाती है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में 21 दिन के नवजात बच्चों को आज भी गर्म छड़ दागा जाता है। दिलचस्प बात यह है कि इससे कोई दुष्परिणाम भी नहीं होता। जिससे लोग अपने बच्चों को खुशी खुशी गर्म छ?ड़से दगवाते हैं। इस दौरान बच्चे खूब रोते भी हैं। लेकिन लोग मजे लेते हैं। इसे परंपरा का हिस्सा मानते हैं।