चांडिल। सरायकेला – खरसवां जिले के चांडिल थाना क्षेत्र अंतर्गत भुईयाडीह स्थित चर्चित दवा कंपनी रेनोविजन एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड में फिर एक बार चर्चाओं में आ गई हैं। शुक्रवार को पांच सदस्यीय ड्रग विभाग की टीम ने कंपनी में बनाए जाने वाली होम्योपैथी तथा आयुर्वेद दवाओं की जांच की। वहीं, जांच के बाद अगले आदेश तक किसी भी तरह के दवा उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
बताया जाता है कि ड्रग कंट्रोलर के निर्देश पर शुक्रवार सुबह 11 से रात नौ बजे तक गहन जांच चली। जांच टीम में कुल पांच ड्रग कंट्रोलर शामिल थे। इनमें जमशेदपुर के अवरार आलम, रांची हेडक्वार्टर रामचंद्र बेसरा, अमित कुमार, धनबाद के राजीव एक्का, सरायकेला – चाईबासा के जया आईंद शामिल थे। वहीं, मजिस्ट्रेट के तौर पर तालेश्वर रविदास को प्रतिनियुक्त किया गया था। इसके अलावा चांडिल पुलिस की टीम को साथ में रखा गया था। जांच टीम द्वारा कंपनी में किए जा रहे दवा उत्पादन में कई खामियां पाने के बाद अगले आदेश तक सभी प्रकार के दवाओं के निर्माण में रोक लगा दी। बताया जाता है कि यहां दवाओं के उत्पादन में तकनीकी जानकारों नहीं रखा गया था, बीते तीन महीने पहले ही तकनीकी विभाग के कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बावजूद कंपनी में मजदूरों द्वारा होम्योपैथी तथा आयुर्वेद दवा तैयार किया जा रहा था। जांच टीम ने विभिन्न दवाओं के सेंम्पल लेने के बाद कंपनी को प्रोडक्शन बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। वहीं, ड्रग कंट्रोलर के निर्देशक को पूरे मामले की जानकारी दी गई। निर्देशक के आदेश के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
फरवरी में भी हुई थी जांच, आदेश के बावजूद बनाई जा रही थी दवा : बीते फरवरी माह में रेनोविजन एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड में ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा जांच की गई थी। उस समय भी कई दवाओं के निर्माण में गुणवत्ता की कमी पाई गई थी। वहीं, मजदूरों द्वारा तैयार किए जाने पर विभाग ने प्रोडक्शन पर पाबंदी लगा दी थी, इसके बावजूद कंपनी प्रबंधन द्वारा अर्थों की दवा तैयार किया जा रहा था।
पटना में बंद यूनिट का लेबल लगाकर बेच रहे दवा : बिहार के पटना में इस कंपनी की एक यूनिट है, जो वर्षों से बंद पड़ी है। लेकिन प्रबंधन द्वारा भुईयाडीह में तैयार किए जाने वाली दवाओं पर पटना यूनिट का लेबल लगाकर मार्केट में सप्लाई किया जा रहा था।